
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। सिंहस्थ 2028 से पूर्व उज्जैन में साधु-संतों में दो फाड़ हो गई है। सोमवार को रामादल अखाड़ा परिषद का गठन किया गया। इसके अध्यक्ष महंत रामेश्वरदास को बनाया गया है। संतों ने कहा कि प्रशासन शैव अखाड़ों के साथ हमें बैठक में न बुलाए, हमसे अलग से चर्चा की जाए। रविवार को स्थानीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों के इस्तीफे के बाद पूरा घटनाक्रम हुआ। शैव और वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों में मतभेद बताया गया है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज व महामंत्री हरि गिरि महाराज रविवार को उज्जैन पहुंचे थे। दोपहर में शिप्रा नदी के किनारे दत्त अखाड़े में महंत आनंदपुरी महाराज की अध्यक्षता में आपात बैठक बुलाई गई। इसमें स्थानीय अखाड़ा परिषद को भंग करने का निर्णय लिया गया। बैठक में स्थानीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत रामेश्वर गिरी महाराज, उपाध्यक्ष आनंदपुरी महाराज और प्रवक्ता महंत श्याम गिरी महाराज ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।
नए परिषद के गठन का निर्णय
स्थानीय परिषद के भंग होने के बाद मंगलनाथ रोड स्थित श्री पंच रामानंदीय निर्मोही अखाड़े में वैष्णव संप्रदाय से जुड़े निर्मोही अणि अखाड़ा, दिगंबर अणि अखाड़ा और निर्वाणी अणि अखाड़ा के महंतों और महामंडलेश्वरों की बैठक आयोजित की गई। इसमें स्थानीय अखाड़ा परिषद को भंग कर नए रामादल अखाड़ा परिषद के गठन का निर्णय लिया गया है। जल्द ही इसके पंजीकरण की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
नए परिषद में संरक्षक मुनि क्षरणदास, अर्जुनदास, खाकी अखाड़ा महंत भगवानदास बनाया गया है। अध्यक्ष महंत रामेश्वरदास महाराज, उपाध्यक्ष महंत काशीदास, रामचंद्रदास, दिगंबर अखाड़ा, हरिहर रसिक खेड़ापति, कोषाध्यक्ष महेशदास और राघवेंदास, मंत्री बलरामदास महाराज, महामंत्री चरणदास, महंत दिग्विजयदास को बनाया गया है।
शैव अखाड़ों से नहीं है संबंध
रामादल अखाड़ा परिषद के संरक्षक भगवानदास ने कहा कि पहले जैसे स्थानीय अखाड़ा परिषद की तरह ही रामादल अखाड़ा परिषद भी काम करती रहेगी। शैव संप्रदाय के अखाड़ों से हमारा कोई संबंध नहीं रहेगा। अब आगे से सिंहस्थ के लिए प्रशासन के साथ होने वाली बैठकों में रामादल अखाड़ों की ओर से हम जाएंगे।
सिंहस्थ के लिए प्रशासन से समन्वय बनाएंगे
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि सिंहस्थ के महत्वपूर्ण कार्यों को लेकर प्रशासन यह समझ नहीं पाता कि स्थानीय स्तर पर किससे चर्चा की जाए। कई समय से सिंहस्थ से जुड़े काम मैं स्वयं देख रहा हूं, इसलिए स्पष्टता लाने के लिए स्थानीय अखाड़ा परिषद को भंग करने का निर्णय लिया गया है।