
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन को सिंहस्थ 2028 से पहले नया वैभव देने की तैयारी है। मोक्षदायिनी शिप्रा के तट पर आस्था, धर्म, सुंदरता और सुविधा का विश्व स्तरीय मॉडल बनने जा रहा है। 40 किलोमीटर लंबाई तक विकसित हो रहे घाट केवल स्नान स्थल नहीं रहेंगे, बल्कि श्रद्धालुओं के सुरक्षित और सौंदर्यपूर्ण अनुभव का नया अध्याय लिखेंगे। यहां लाल बलुआ पत्थर की भव्यता, 100 मीटर चौड़ी हरित सिक्स लेन सड़क की कनेक्टिविटी, उच्च रोशनी वाली व्यवस्था, कपड़े बदलने के शेड, शौचालय और पेयजल जैसी सुविधाएं होंगी।
शिप्रा तट पर अभी घाटों की लंबाई 9.78 किलोमीटर है, जिसे बढ़ाकर 40 किलोमीटर किया जा रहा है। 29 किलोमीटर नए घाट बनाए जा रहे हैं। इनका आठ प्रतिशत कार्य पूरा भी हो चुका है। जून 2027 तक शेष कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य है, जिसके लिए मिशन मोड में कार्य चल रहा है। 47.69 करोड़ रुपये की लागत से चार इंच मोटा लाल बलुआ पत्थर लगाया जा रहा है, जो तट को एक समान लालिमा प्रदान करेगा और शिप्रा के सौंदर्य को आकर्षक बनाएगा।
शिप्रा के घाटों को दो सिक्सलेन सड़क रूपी ‘शिप्रा तीर्थ पथ’ से जोड़ा जाएगा। पूर्वी तट पर 117 करोड़ रुपये से 6 किमी लंबा कारिडोर और पश्चिमी तट पर 162 करोड़ से 17 किमी लंबा कॉरिडोर बनाया जाना है। सिद्धनाथ से त्रिवेणी घाट तक नौकायन भी शुरू होगा, जो धार्मिक पर्यटन के साथ सांस्कृतिक पर्यटन को भी नया आयाम देगा।
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उज्जैन विश्व का एकमात्र शहर माना जाता है जहां कालचक्र स्थिर होता है और यहीं शिप्रा के तट पर अमृत छलकने की मान्यता है। यह वही धरती है जहां आस्था, भगवान महाकाल का आशीर्वाद और शिप्रा एक साथ प्रवाहित होते हैं। घाटों का विस्तार श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधा और सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत करेगा।