
Ujjain News: उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शिप्रांजलि न्यास का विक्रम कीर्ति मंदिर सभागार, ओपन ओडिटोरियम और महिला बाल विकास विभाग के बाल भवन का संचालन, संधारण कार्य महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ को सौंपने के लिए संभागायुक्त ने 17 अगस्त को बैठक रखी है। बैठक में न्यास के अध्यक्ष संभागायुक्त, सचिव कलेक्टर सहित अन्य पदाधिकारी शामिल होंगे। शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी का स्वास्थ्य खराब है, ऐसे में बैठक में उनके शामिल होने की उम्मीद कम है।
बता दें कि उज्जैन दक्षिण से विधायक और उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव, देवास रोड स्थित बिडला भवन में संचालित महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ परिसर का विस्तार चाहते हैं। उद्देश्य परिसर को कला, संस्कृति और पुरातत्व का अंतरराष्ट्रीय शोध केंद्र बनाना है। इसके लिए बिडला भवन का चार करोड़ रुपये से रिनोवेशन कार्य भी हो रहा है। शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने ‘नईदुनिया’ को बताया कि आगे चलकर परिसर में सात संग्रहालय बनाने की योजना है, जहां सम्राट विक्रमादित्य, उनके नवरत्न से जुड़ी सामग्री अवलोकनार्थ उपलब्ध रहेंगी।
यहां सम्राट विक्रमादित्य के समय में प्रचलित वस्त्र, आभूषण, शस्त्र फोटो-वीडियोग्राफी कराने के लिए किराए पर उपलब्ध भी होंगे। शैव, वैष्णव आधारित गैलरी भी बनाई जाएगी। मध्यप्रदेश शासन विक्रम कीर्ति मंदिर, ओपन ओडिटोरियम और बाल भवन महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ को सौंपने की सहमति दे चुका है। अंतिम निर्णय अब शिप्रांजलि न्यास की बैठक में लिया जाना है।
विक्रम कीर्ति मंदिर सभागार, ओपन आडिटोरियम के संचालन, संधारण का जिम्मा वर्तमान में विक्रम विश्वविद्यालय के पास है। इसके पहले श्री महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के पास था। तकनीकी और राजनीतिक कारणों से न समिति इसका संधारण, संचालन ठीक से कर पाई और ना विक्रम विश्वविद्यालय। कुल मिलाकर सभागार और आडिटोरियम बोझ बनता गया। स्थिति ये रही कि चौकीदारों का वेतन निकालना तक मुश्किल हो गया। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में शिप्रांजलि न्यास के तत्कालीन पदेन अध्यक्ष संभागायुक्त रवींद्र पस्तोर ने रिनोवेशन के बाद विक्रम कीर्ति मंदिर सभागार और ओपन ओडिटोरियम के संचालन, संधारण की कमान श्री महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को सौंपी थी।
देखरेख ठीक से न होने पर न्यास ने वर्ष 2021 में पुन: संधारण, संचालन की कमान विक्रम विश्वविद्यालय को सौंप दी। स्थिति यह बनी कि महाकाल मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से नियुक्त चार कर्मचारी यहां तब से कार्यरत रहे। हां, उन्हें वेतन नहीं मिला। ओपन ओडिटोरियम के मुख्य हिस्से में बनाई दुकानें भी नीलाम नहीं की गई हैं। वर्षों से ये दुकाने खाली पड़ी हैं।
विक्रम कीर्ति मंदिर सभागार के पीछे विक्रम विश्वविद्यालय का पुरातत्व संग्रहालय है, जिसे तोड़कर नया बनाने का काम उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी कर रही है। नया भवन बनाने और उसके सुंदरीकरण पर 14 करोड़ रुपये खर्च होने का दावा किया गया है। कहा गया है कि ये भविष्य में ‘पंडित श्रीधर वाकणकर’ के नाम से अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र के रूप में पहचाना जाएगा। नए भवन में आडियो-विजुअल विथिकाएं बनेंगी, जिनमें 55 वर्षों से विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा संजोकर रखी 472 अति प्राचीन दुर्लभ प्रतिमाओं, 20497 पांडुलिपियों, 18670 ऐतिहासिक पुस्तकों, पांच लाख वर्ष पुराने विश्व प्रसिद्ध हाथी का मस्तक सहित 200 जीवाश्मों एवं अवशेषों को खूबसूरती के साथ प्रदर्शित किया जाएगा।
कायाकल्प 18 महीनों में हो जाएगा। प्रथम चरण में 8 करोड़ 77 लाख रुपये से 1200 वर्गमीटर का नया भवन बनाया जाएगा। 4500 वर्गमीटर के मौजूदा ढांचे का नवीनीकरण किया जाएगा। दूसरे चरण में इंटीरियर डेकोरेशन होगा, जिसमें कलाकृतियों को प्रदर्शित करने के लिए नई गैलरी बनाई जाएगी।
पूरा भवन वातानुकूलित होगा। इसमें भंडारण एवं प्रदर्शन के साथ आकर्षक लाइटिंग की व्यवस्था होगी। पुरा अवशेषों एवं पांडुलिपियों को आडियो, वीडियो माध्यम से बताने की सुविधा होगी। यहां जन-सुविधाएं भी विकसित की जाएंगीं। फिलहाल की स्थिति में सात महीने गुजर गए हैं और काम समय से पिछड़ता नजर आ रहा है।