डिजिटल डेस्क, इंदौर। मेडिटेशन का स्पष्ट शब्दों में अर्थ है फोकस करना। ये दिमाग को शांत करने के साथ शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार लाता है। फोकस बढ़ाने के साथ दिमाग को शांत करने के लिए कई प्रकार की मेडिटेशन तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
अपने जीवन की स्थिति के अनुसार, जो तकनीक हमारे लिए बेस्ट है, उसी का इस्तेमाल करना चाहिए। आइए जानते हैं अलग अलग मेडिटेशन तकनीक के बारे में, जो आपके दिमाग को करेगी शांत…
शांत जगह पर पीठ सीधी करके बैठें। आंखें बंद करें और धीमी गति से लंबी लंबी सांस भरें और छोड़ें। मात्र अपनी सांसों पर फोकस करें। इस दौरान दिमाग में लाखों विचार आएंगे, जो बिल्कुल सामान्य बात है। विचारों को आने और जाने दें।
आप अपना फोकस सांसों पर रखें और सांसों को अंदर खींचते और बाहर छोड़ते रहें। कुछ दिनों में अभ्यास हो जाने के बाद ज्यादा विचार नहीं आएंगे। ब्रीदिंग मेडिटेशन से स्ट्रेस लेवल कम होता है, ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है, दिमाग शांत होता है, नींद की क्वालिटी में सुधार होता है और अस्थमा के लक्षणों से भी राहत मिलती है।
ये सुनने में अजीब लग सकता है कि कोई चलते हुए कैसे मेडिटेशन कर सकता है। मगर, इस तकनीक की यही खासियत है कि ये मानसिक और शारीरिक दोनों तरीके से स्वास्थ्य लाभ देता है। एक साफ रास्ता चुनें जहां ट्रैफिक या भीड़ न हो।
अगर आपके घर के पास पार्क या वॉकिंग लेन हो तो और भी बेहतर है। धीमी गति से इस पर चलें। अपने कदमों पर फोकस करें और धीरे-धीरे अपनी सांसों को अपने कदमों के साथ रिदम में बैठाएं और चलें। ये एक प्रकार का एक्टिव मेडिटेशन है, जो नेचर के साथ मेडिटेशन को जोड़ता है।
वॉकिंग मेडिटेशन से ब्लड फ्लो बेहतर बनाता है। पाचन में सुधार आता है, ब्लड शुगर लेवल संतुलित होता है। इसके साथ ही एंजाइटी और डिप्रेशन के लक्षणों से राहत मिलती है।
मंत्र में बहुत शक्ति होती है। कुछ लोग ॐ नमः शिवाय या ऐसे वैदिक मंत्रों का जाप करते हुए मेडिटेट करते हैं। इनके साथ आप आसान से शब्दों को भी मंत्र के रूप में बोल कर मेडिटेट कर सकते हैं।
जैसे मैं पावरफुल हूं, या फिर मैं आभारी हूं। ऐसे वाक्यों को भी अफर्मेशन की तरह बोल कर मंत्र मेडिटेशन किया जा सकता है। इससे दिमाग शांत होता है और अपने अंदर झांकने का मौका मिलता है। ऐसा करने से विचार सकारात्मक होते हैं।
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दिनभर की भागदौड़ आपको इतना थका देती है कि एक समय ऐसा आता है, जब आप हताश महसूस करते हैं। आपको मेडिटेट करने तक का समय नहीं मिल पाता है। ऐसे में हताश होने की जगह डू नथिंग मेडिटेशन का सहारा लें।
जो भी काम कर रहे हैं, उसे वहीं रोक दें। लंबी सांस भरें। भले ही 2 से 5 मिनट का समय मिले, काम रोक कर इस डू नथिंग मेडिटेशन को करें। ये आपको कठिन अनुभवों से उबरने में सहायता करता है और शरीर से टेंशन को रिलीज करता है।
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खुद को 2 मिनट के लिए सरेंडर करते हुए अपनी सांसों पर ध्यान दें। बिना किसी मेहनत और एक्स्ट्रा एफर्ट के इस बेहतरीन तकनीक के फायदा देखें।