डिजिटल डेस्क, इंदौर। वर्कआउट करना लगातार प्रैक्टिस और समय लेने वाली गतिविधि है। इस दौरान बहुत ही संयम और धैर्य की जरूरत होती है। अपनी वर्कआउट की प्रगति को दूसरों से तुलना करने की गलती करने के कारण भी अक्सर लोग संयम खो देते हैं और वर्कआउट के असली फायदों का लाभ उठाने में असमर्थ हो जाते हैं।
वर्कआउट एक ऐसा स्ट्रगल है, जो हर शरीर के लिए अलग होता है। कुछ लोगों में वर्कआउट के परिणाम जल्दी देखने को मिल जाते हैं। वहीं, कुछ लोगों को परिणाम पाने के लिए महीनों का इंतजार करना पड़ सकता है।
इसलिए अगर वर्कआउट करने के बावजूद आपका वजन आपकी जरूरत के अनुसार घट या बढ़ नही रहा है। वर्कआउट करने के बावजूद बॉडी टोन्ड नहीं हो रही है, तो संभव है कि आप से कुछ गलतियां हो रही हों। समय रहते यदि आप इन गलतियों को सुधार लेते हैं, तो कम समय में ज्यादा बेहतर नतीजे दिखने लगते हैं।
वर्कआउट के दौरान अच्छी परफोर्मेंस और रिकवरी के लिए हाइड्रेटेड होते रहना बहुत जरूरी होता है। पानी न पीने से शरीर में पानी की कमी होती है। इससे थकान, क्रैंपिंग और डिहाइड्रेशन होने की आशंका होती है।
वर्कआउट करने के बाद अगर शरीर में कोई समस्या होती है और शरीर इसके संकेत देता है, तो इसे इग्रोर नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए दर्द, भारीपन, थकान, खिंचाव आदि के संकेतों को इग्नोर करने से चोट और डैमेज की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए शरीर से मिलने वाले इन संकेतों को समझ कर उसके अनुसार वर्कआउट करना ही उचित है।
आवश्यकता से अधिक वर्कआउट करने से बर्नआउट, चोट और खराब परफॉर्मेंस की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए ओवरट्रेनिंग करने के फायदे से अधिक दुष्परिणाम हैं।
गलत फॉर्म या पॉश्चर में वर्कआउट करने से वर्कआउट के पूरे फायदे नहीं मिलते हैं। साथ ही चोट लगने की आशंका भी बढ़ जाती है। लिहाजा, सही पॉश्चर में ही एक्सरसाइज करनी चाहिए।
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एक ही वर्कआउट हर दिन रिपीट करना और फिर कम समय में अच्छे परिणाम न मिलने के कारण मन हताश हो सकता है। इसके कारण वर्कआउट करना बोरिंग और दबाव वाला काम भी लग सकता है। ट्रेनर के अनुसार, नए-नए वर्कआउट करने से शरीर को भी चैलेंज मिलते हैं और वर्कआउट करना एक उत्सुकताभरा अनुभव बना रहता है।