डिजिटल डेस्क, इंदौर। म्यूजिक एक खूबसूरत एहसास है, जिसे म्यूजिक लवर बखूबी समझते हैं। किसी भी काम में मन न लग रहा हो, तो म्यूजिक ऑन होते ही वो काम दिलचस्प लगने लगता है। आजकल के फिटनेस या जिम एक्सपर्ट म्यूजिक को एक जरूरी टूल की तरह इस्तेमाल करते हैं।
मगर, क्या वॉक करते समय म्यूजिक सुन कर चलना वाकई फायदे का सौदा है या फिर ये घाटे का है सौदा! क्या हर काम को करने के दौरान इसका इस्तेमाल करना चाहिए? क्या इससे फायदे की जगह नुकसान भी हो सकते हैं? आइए विस्तार में समझें…
म्यूजिक सुन कर वॉक करने से मूड अच्छा होता है। एनर्जी बढ़ी हुई महसूस होती है और लंबी दूरी तक वॉक करना आसान लगता है। दिगाम को पता भी नहीं चलता है कि आप कितना अधिक चल चुके हैं।
म्यूजिक सुनकर वॉक करने के बाद थकान भी कम लगती है। म्यूजिक सुनते रहने से दिमाग म्यूजिक में व्यस्त रहता है और साइकोलॉजिकली इस बात के महसूस नहीं होने से शरीर थकता नहीं है।
अगर इसके नुकसान की बात करें, तो म्यूजिक लगा कर वॉक करना सुरक्षित नहीं है। खासतौर से तब, जब आप रोड पर वॉक कर रहे हैं। बाहर की बातें और शोर आपको सुनाई नहीं देते, जो कि कुछ मामलों में गंभीर परिणाम दे सकते हैं।
जाहिर सी बात है कि वॉक करते समय म्यूजिक तेज वॉल्यूम में ही होता है। इससे कानों को भी नुकसान पहुंचता है। कान में दर्द की परेशानी भी हो सकती है।
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म्यूजिक सुनकर वॉक करने से फोकस बंट जाता है। यूं भी आप दिनभर इतने शोर शराबे के बीच रहते हैं कि सुबह और रात जब भी आप वॉक करते हैं, तो आपका फोकस नहीं बन पाता है। आप फिर से शोर शराबे में ही घुस जाते हैं, जिससे दिमाग की क्लींजिंग नहीं हो पाती है।
जब आप वर्तमान में जीते हुए म्यूजिक सुने बिना वॉक करते हैं, तो आप कई प्रकार के सामाजिक लोगों से मिलते हैं। साथ ही इस दौरान आप अपने आसपास के माहौल को भी एंजॉय कर पाते हैं।
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बिना म्यूजिक के वाइटल्स पर नजर रखने का समय मिलता है। म्यूजिक सुनकर दौड़ने से आप अपने वाइटल्स को देखने में दिलचस्पी नहीं लेते हैं या फिर भूल जाते हैं। मगर, जब आप बिना म्यूजिक के वॉक करते हैं, तो आप अपने पल्स रेट, हार्ट रेट, अपने चलने का अंदाज आदि सब कुछ नोटिस कर पाते हैं।