हेल्थ डेस्क, इंदौर (Diabetes Precaution )। वर्तमान परिवेश में डायबिटीज के पीड़ित लगातार बढ़ रहे है। आयु बढ़ने के साथ लोगों को टाइप टू डायबिटीज हो रहा है। अनियमित दिनचर्या के कारण अपेक्षाकृत कम उम्र में ही डायबिटीज मेह के लक्षण देखे जा रहे है। इसलिए आवश्यक हो गया है कि 30 से 35 वर्ष की आयु से डायबिटीज की जांच निरंतर रूप से कराएं। 40 वर्ष की आयु के बाद तो और सतर्कता रखें, छह-छह माह के अंतर में मधुमेह के स्तर का परीक्षण कराते रहें।
डायबिटीज साइलेंट किलर है। यह देखा जाता है कि सामान्यतया टाइप टू डायबिटीज का पीड़ित को जांच के अभाव में समय रहते पता नहीं चलता है। पीड़ित के स्वास्थ्य को यह रोग अंदर ही अंदर क्षति पहुंचाता रहता है। डायबिटीज से हृदय, गुर्दा से लेकर मस्तिष्क तक समस्या हो सकती है। समय से जांच हो जाएं और डायबिटीज के बारे में पता चल जाएं तो उसकी उचित रोकथाम संभव है।
कई बार खानपान और दिनचर्या में सामान्य परिवर्तन करके दवाइयों से ही इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। आयु बढ़ने के साथ सीबीसी जांच भी कराते रहना चाहिए, ताकि रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा का पता चलता रहे।
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