
हेल्थ डेस्क, इंदौर। Pet’s Care: वैसे तो मानसून का मौसम आते ही खुशी से उछल पड़ते हैं। परंतु इस मौसम में बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसकी चपेट में केवल इंसान ही नहीं, बल्कि पालतू जानवर भी आते हैं। पालतू जानवरों में स्किन इन्फेक्शन, एलर्जी या पेट से जुड़ी समस्याएं अधिक देखने को मिलती हैं। यहां तक कि आकाशीय बिजली की गड़गड़ाहट की आवाज भी पेट्स को चिड़चिड़ा बना देती है। पिछले कुछ सालों में भारत में पेट्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है।
भारत में कुल 3.1 करोड़ पेट डाग्स (पालतू श्वान) हैं, जबकि पालतू बिल्लियों की संख्या करीब 25 लाख है। वेटरनरी डाक्टर्स की मानें, तो वर्षाकाल के दौरान ही पेट्स की सबसे ज्यादा केयर करना जरूरी होती है, क्योंकि इसी दौरान उन्हें वाटर बर्न डिजीज, पोडोडर्माटाइटिस और कान के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
पेट्स को एलर्जी, शुष्क त्वचा, खुजली वाली त्वचा, संक्रमण, उल्टी, दस्त जैसी स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। वेटरनरी डॉक्टर डॉ. प्रशांत तिवारी ने बताया कि वर्षा काल के दौरान अपने पेट्स को पानी से बचाकर रखना चाहिए।

वेटरनरी डॉक्टर के अनुसार, वर्षा काल के दौरान घास और झाड़ियों में पिस्सू, कीट आदि सूक्ष्म परजीवी हो जाते हैं। इन खतरनाक परजीवियों से पेट्स में गंभीर बीमारियां फैल सकती हैं। इसलिए, अपने पेट्स को घास, झाड़ियों आदि में जाने से बचाना चाहिए।
जहां पेट्स सोते हैं, उस जगह को साफ व सूखा रखें, ताकि पिस्सू, मच्छर और अन्य कीड़े उनके आसपास न आएं। डा. तिवारी ने बताया कि इस मौसम में पेट्स के कानों में नमी बढ़ जाती है। कान के संक्रमण से बचने के लिए कानों को सूखा रखना बहुत जरूरी है।

पेट्स के कान लंबे और बंद होते हैं। उनमें संक्रमण होने का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए समय पर कान की सफाई कराएं। हल्का भोजन दें। डाॅ. तिवारी ने बताया कि मानसून में पेट्स को हल्का, जल्दी पचने वाला और ताजा खाना देना चाहिए।
शाम के खाने के बाद उन्हें हटलाने के लिए जरूर जाएं। इससे पाचन सही ढंग से होता है। समय पर टीकाकरण करवाएं। कृमि संबंधी बीमारियों और श्वसन संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बरसात शुरू होने से पहले अपने पेट्स को दवाएं व वैक्सीन जरूर लगवाएं।
डिस्क्लेमर
यह लेख सामान्य जानकारी के आधार पर लिखा गया है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा डॉक्टर्स की सलाह जरूर लें। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।