Cyclone Biparjoy: चक्रवात हवाओं का बदलता हुआ चक्र है। जिसके केंद्र में निम्न वायुदाब और बाहर हाई वायुदाब होता है।: मौसम विभाग के अनुसार, चक्रवात बिपरजॉय के 15 जून को गुजरात के सौराष्ट्र, कच्छ और इससे सटे पाकिस्तान के तटों पर उतरने की संभावना है। एनडीआरएफ की 12 टीमों को पश्चिमी राज्य में तैनात किया गया है। वहीं, आईएमडी मुंबई के प्रमुख सुनील कांबले ने कहा कि चक्रवात बिपरजॉय मुंबई से फिलहाल दूर है। यह पोरबंदर से 300 किमी दूर है। गुरुवार को इसके मांडवी और कराची के बीच लैंडफॉल होने की संभावना है। क्या आपको पता है कि साइक्लोन क्या होता है। इसके कितने प्रकार हैं। चलिए इस खबर में आपको इन्हीं सवालों का जवाब देते हैं।
चक्रवात हवाओं का बदलता हुआ चक्र है। जिसके केंद्र में निम्न वायुदाब और बाहर हाई वायुदाब होता है। आसान भाषा में समझे तो साइक्लोन हवा की बड़े पैमाने की प्रणाली है, जो कम दबाव वाले क्षेत्र के केंद्र के चारों ओर घूमती हैं। चक्रवात के कारण तूफानी हवाओं के साथ तेज बारिश भी हो सकती है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, उत्तरी गोलार्ध में साइक्लोन एंटी-क्लॉकवाइज जबकि दक्षिणी गोलार्ध में क्लॉकवाइज घूमता है।
चक्रवात बनने का कारण तापमान बढ़ने से समुद्री सतह का गर्म होना, कोरिओलिस बल और वायुमंडल में नमी की अधिकता है। साइक्लोन का आकार 80 से 300 किलोमीटर तक हो सकता है।
1. उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone)
2. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Extra-Tropical Cyclone)
उष्णकटिबंधीय चक्रवात वे होते हैं जो मकर और कर्क रेखा के बीच के क्षेत्रों में विकसित होते हैं। ये सबसे विनाशकारी तूफान होते हैं। उष्णकटिबंधीय साइक्लोन महासागरों की सतह पर उत्पन्न होते हैं। तटीय क्षेत्रों की तरफ बढ़ते हैं। निम्न वायुमंडलीय दबाव, तेज हवाओं और भारी बारिश इनकी विशेषताएं हैं।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को विभिन्न नामों से जाना जाता है। उत्तरी अटलांटिक महासागर और पूर्वी उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में हरिकेन कहते है। वहीं, पश्चिमी उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में टाइफून कहा जाता है।
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात उष्णकटिबंधीय के तुलना में कम विनाशकारी होते हैं। ये साइक्लोन उत्तरी अटलांटिक महासागर, भूमध्य सागर, उत्तरी प्रशांत महासागर और चीन सागर में बनते हैं। शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवाक ठंडी और गर्म हवाओं के मिलने से बनते हैं। चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों के मौसम में बनते हैं। दक्षिणी गोलार्ध में साल भर बने रहते हैं।