डिजिटल डेस्क: भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (CJI BR Gavai) ने गोवा में छात्रों को संबोधित करते हुए जीवन और करियर से जुड़ा प्रेरणादायी संदेश दिया। उन्होंने संविधान के सेपरेशन ऑफ पावर, सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर एक्शन फैसले और कानूनी शिक्षा को लेकर अपने विचार रखे। गवई ने छात्रों को यह सीख दी कि सफलता रैंक या अंक से नहीं बल्कि कड़ी मेहनत और समर्पण से तय होती है। इसी बीच उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों का दिलचस्प किस्सा सुनाकर सभी को प्रेरित किया।
CJI ने बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि हमें गर्व है कि हमने कार्यपालिका को न्यायिक भूमिका निभाने से रोकने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अगर कार्यपालिका को यह अधिकार दिया जाए तो यह संवैधानिक ढांचे को नुकसान पहुंचाएगा।
सीजेआई गवई ने अनुसूचित जाति में उप-वर्गीकरण से जुड़े फैसले पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मेरी ही कम्यूनिटी के लोगों ने इस फैसले की आलोचना की, लेकिन फैसले दबाव या इच्छाओं से नहीं, बल्कि कानून और अंतरात्मा के आधार पर होते हैं।
कानूनी शिक्षा को लेकर उन्होंने कहा कि देश भर में लाखों छात्र नामांकित हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी है। इसलिए कानूनी शिक्षा को मजबूत करना समय की आवश्यकता है।
इस दौरान गवई ने अपने कॉलेज के दिनों का किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि मैं कक्षाएं अक्सर छोड़ देता था और दोस्तों की मदद से उपस्थिति दर्ज होती थी। अंतिम वर्ष में केवल कुछ बार कॉलेज गया। परीक्षा में तीसरे स्थान पर आने के बावजूद आज मैं भारत का मुख्य न्यायाधीश हूं। उन्होंने छात्रों से कहा कि सफलता अंकों से तय नहीं होती, बल्कि मेहनत, संकल्प और समर्पण ही असली कुंजी है।
यह भी पढ़ें- Weather Report: UP में आज जमकर तांडव करेंगे मेघा, गोरखपुर-मथुरा सहित 40 जिलों में मूसलाधार बारिश की चेतावनी