नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। मानसून के आखिरी दौर में उत्तर भारत में हो रही भारी बारिश और बाढ़ का असर अब आने वाले मौसम (Weather Alert) पर भी पड़ सकता है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि सितंबर में सामान्य से अधिक वर्षा होने पर तापमान तेजी से गिरता है। अगर मानसून की विदाई के तुरंत बाद *पश्चिमी विक्षोभ* सक्रिय हो गया, तो उसकी नमी जल्द ही बर्फ में बदल सकती है। यही वजह है कि इस साल ठंड अपने तय समय से पहले दस्तक दे सकती है।
अगस्त और सितंबर में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में औसत से सात से आठ गुना अधिक बारिश दर्ज की गई है। लगातार बरसात और नमी से भरी जमीन के चलते इस बार मैदानों में कोहरा और पाला भी समय से पहले पड़ सकता है। इसका असर फसलों और यातायात दोनों पर देखने को मिल सकता है।
भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार आमतौर पर मानसून की वापसी सितंबर के अंत तक हो जाती है। लेकिन इस बार उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बारिश एक हफ्ता देर तक जारी रह सकती है। उदाहरण के तौर पर, शिमला में सितंबर के पहले दो दिनों में ही औसत से 200% अधिक वर्षा दर्ज की गई। इसका मतलब है कि मिट्टी और हवा में नमी लंबे समय तक बनी रहेगी। जैसे ही तापमान गिरेगा, यह नमी पहाड़ों में जल्दी बर्फबारी का कारण बन सकती है।
निजी मौसम एजेंसी स्काइमेट के अनुसार, सितंबर से नवंबर के बीच प्रशांत महासागर में ला-नीना की स्थिति बनने की संभावना है। भारत में इसका सीधा असर पड़ेगा और तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री तक गिर सकता है।
आईएमडी के आंकड़े बताते हैं कि पहाड़ों में सर्दी का कैलेंडर लगातार बदल रहा है। 2021 में अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही बर्फबारी हुई थी, जबकि 2022 में 20 सितंबर को केदारनाथ और यमुनोत्री बर्फ से ढक गए थे। आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि जब-जब सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, अक्टूबर की शुरुआत में ही ठंड महसूस होने लगी है।
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