डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आजादी के बाद भारत ने प्रगति की कई नई ऊंचाइयां छुईं, लेकिन इसी बीच भ्रष्टाचार और घोटालों की लंबी लिस्ट भी देश के सामने आई। छोटे स्तर से लेकर बड़े स्तर तक ऐसे कई स्कैम हुए, जिन्होंने न सिर्फ़ देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई बल्कि राजनीति और सिस्टम की साख पर भी सवाल खड़े किए। आइए जानते हैं आजादी के बाद से अब तक हुए कुछ बड़े घोटालों के बारे में।
जीप घोटाला (1948)(Jeep scam)
भारत का पहला बड़ा घोटाला आज़ादी के ठीक बाद हुआ। सरकार ने लंदन की एक कंपनी से 2,000 जीप खरीदने का सौदा किया था। करीब 80 लाख रुपये का सौदा होने के बावजूद भारत को सिर्फ़ 155 जीपें ही मिल पाईं। इस घोटाले में ब्रिटेन स्थित तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का नाम सामने आया। हालांकि 1955 में केस बंद कर दिया गया और बाद में मेनन नेहरू कैबिनेट में शामिल हो गए।
मारुति घोटाला (1970s)(Maruti scam)
मारुति कंपनी बनने से पहले ही इस घोटाले ने सुर्खियाँ बटोरीं। कहा गया कि पैसेंजर कार बनाने का लाइसेंस पाने में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और संजय गांधी की भूमिका रही। सरकारी मदद और लाइसेंस प्रक्रिया पर सवाल उठे और यह मामला विवादों का केंद्र बन गया।
बोफोर्स घोटाला (1987)(Bofors scandal)
भारत में भ्रष्टाचार का सबसे चर्चित मामला बोफोर्स घोटाला रहा। आरोप था कि 155 मिमी. फील्ड होवित्जर तोपों के सौदे में स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी ने लगभग 64 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी समेत कई बड़े नेताओं के नाम सामने आए।
स्टॉक मार्केट घोटाला (2000s)(Ketan Parekh stock scam)
स्टॉक ब्रोकर केतन पारीख ने भारतीय शेयर बाजार में भारी गड़बड़ी की। उनके द्वारा किए गए घोटाले का अनुमान लगभग 1,15,000 करोड़ रुपये लगाया गया। दिसंबर 2002 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन इस घोटाले ने शेयर मार्केट की पारदर्शिता पर गहरे सवाल उठाए।
यूरिया घोटाला (1996)(Urea scam)
26 मई 1996 को दर्ज हुए इस मामले में 133 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आया। नैशनल फर्टिलाइजर के प्रबंध निदेशक सी.एस. रामाकृष्णन ने यूरिया आयात के लिए पैसा दिया, लेकिन यूरिया कभी आया ही नहीं। आश्चर्यजनक बात यह रही कि इस घोटाले में किसी को सजा नहीं मिली।
चारा घोटाला (1996)(Fodder scam)
बिहार का मशहूर चारा घोटाला लगभग 360 करोड़ रुपये का था। पशुओं के चारे के नाम पर सरकारी खजाने से पैसा निकाला गया। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव मुख्य आरोपी रहे। 2017 में सीबीआई अदालत ने लालू यादव समेत कई लोगों को दोषी करार दिया। लालू यादव को 7 साल की सजा और 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
स्टांप घोटाला (2000s)( Telgi stamp paper scam)
अब्दुल करीम तेलगी द्वारा किया गया यह घोटाला देश का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा माना जाता है। नकली स्टांप पेपर छापकर करीब 20,000 करोड़ रुपये का स्कैम हुआ। इस घोटाले ने पूरे तंत्र की पोल खोल दी।
सत्यम घोटाला (2009)(Satyam scam)
आईटी सेक्टर का सबसे बड़ा कॉरपोरेट स्कैंडल सत्यम घोटाले के रूप में सामने आया। कंपनी ने शेयर मार्केट और रियल एस्टेट के जरिए करीब 14,000 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया। इस घटना ने भारत की कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर गंभीर सवाल उठाए।
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला (2010)(Commonwealth Games scam)
दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स देश की प्रतिष्ठा का सवाल थे, लेकिन इसमें करीब 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया। आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी और उनके सहयोगियों पर खेल के नाम पर धन की हेराफेरी के आरोप लगे।