एजेंसी,आरा। भारत निर्वाचन आयोग के विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान (नेशनल इंटेंसिव रिवीजन–एसआईआर) के नतीजों ने भोजपुर जिले की चुनावी तस्वीर बदल दी है। वर्ष 2020 की तुलना में इस बार जिले में करीब 38 हजार मतदाता कम हो गए हैं। यह गिरावट न सिर्फ निर्वाचन प्रक्रिया की सटीकता को दर्शाती है, बल्कि राजनीतिक दलों की रणनीति पर भी असर डाल सकती है।
सबसे ज्यादा नुकसान आईएनडीआईए गठबंधन को हुआ है। गठबंधन की चार विधानसभा सीटों पर लगभग 24 हजार वोटर घटे हैं। वहीं एनडीए के कब्जे वाली तीन सीटों पर भी करीब 14 हजार मतदाताओं की संख्या कम हुई है।
मतदाता सूची से डुप्लीकेट नाम हटे
विशेषज्ञों का मानना है कि मतदाता सूची से डुप्लीकेट नाम हटाने, मृत व स्थानांतरित मतदाताओं को हटाने और पलायन की वजह से यह कमी दर्ज हुई है। खासकर उन सीटों पर जहां पिछली बार बहुत कम अंतर से जीत या हार हुई थी, वहां यह बदलाव नतीजों को प्रभावित कर सकता है।
आईएनडीआईए की सीटों पर गिरावट
30 सितंबर को जारी अंतिम सूची के अनुसार, राजद की संदेश सीट पर 2343, माले की अगिआंव सीट पर 5891, राजद की जगदीशपुर सीट पर 3488 और शाहपुर सीट पर सबसे अधिक 12,108 मतदाता कम हुए हैं। यानी कुल मिलाकर आईएनडीआईए की चार सीटों पर 23,830 वोटर घटे हैं।
एनडीए की सीटों पर भी कमी
वहीं एनडीए की ओर से भाजपा की आरा सीट पर 4116, बड़हरा में 4843 और तरारी सीट पर 5110 मतदाता घटे हैं। इस तरह इन तीनों सीटों पर कुल 14,069 वोटर कम हुए हैं। अब सबकी नजर इस बात पर है कि घटे हुए वोटरों की यह तस्वीर चुनावी समीकरणों को किस दिशा में मोड़ेगी। क्या यह बदलाव सत्ता संतुलन को प्रभावित करेगा या फिर दोनों गठबंधन अपनी रणनीति से स्थिति संभाल पाएंगे।