नईदुनिया, उज्जैन (Ujjain Mahakal Mandir News)। महाकाल मंदिर के पुजारियों ने मंंदिर प्रबंध समिति से भगवान महाकाल के मुखारविंदों का पेटेंट कराने की मांग की है। पुजारी का कहना है कि कुछ लोगों ने भगवान महाकाल के मुखारविंदों की प्रतिकृति बना ली है।
यह लोग पधरावनी (घर पर आमंत्रित कर पूजा करना) के नाम पर देश भर में उनका प्रदर्शन कर रहे हैं। यह आचरण महाकाल मंदिर की धर्म परंपरा, मूर्तियों के महत्व तथा भक्तों की भावना के साथ खिलवाड़ है।
पुजारियों की मांग है कि ऐसे लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज होना चाहिए। साथ ही ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति ना हो सके इसलिए मूर्तियों का पेटेंट करा लेना चाहिए।
दो दिन पहले वृंदावन से कुछ लोग भगवान बांके बिहारी की मूर्ति लेकर उज्जैन आए थे। इस पर पं. महेश पुजारी ने बांके बिहारी मंदिर के पुजारियों से चर्चा की, पुजारियों ने बताया बांके बिहारी मंदिर की ऐसी कोई परंपरा नहीं है। इस पर मामले ने तूल पकड़ा और भगवान महाकाल के मुखारविंदों के प्रदर्शन की बात भी सामने आई। इस पर पुजारियों ने मंदिर प्रशासक से मूर्तियों का पेटेंट कराने की मांग रखी।
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इंटरनेट माध्यमों पर ऐसे कई वीडियो देखने को मिल रहे हैं, जिनमें लोग भगवान महाकाल के मुखारविंदों को लोगों के घर ले जाकर एक दिनी उत्सव मनाते नजर आ रहे हैं। जबकि मंदिर में भगवान के मुखारविंदों को सवारी के अलावा कहीं बाहर ले जाने की परंपरा नहीं है। अगर यह लोग महाकाल के नाम पर ऐसा कर रहे हैं, तो भक्तों की भावना के साथ खिलवाड़ व धोखाधड़ी है। - पं.राम पुजारी, मंदिर समिति सदस्य
भगवान महाकाल के मुखारविंदों को पेटेंट कराने के संबंध में पुजारियों की मांग प्राप्त हुई है। इस मामले में हम क्या कर सकते हैं, इस संबंध में विधि विशेषज्ञों से राय ली जा रही है। इसमें हम मुखारविंद के अलावा किन किन चीजों को शामिल कर सकते हैं, इस पर भी विचार किया जा रहा है। - गणेश कुमार धाकड़, प्रशासक महाकालेश्वर मंदिर
पेटेंट एक कानूनी अधिकार की तरह है। यह किसी व्यक्ति या संस्थान को किसी विशेष उत्पाद, खोज, डिजाइन, सेवा पर एकाधिकार देता है। यानी पेटेंट प्राप्त करने वाले व्यक्ति के अलावा यदि कोई अन्य व्यक्ति अथवा संस्थान इसका उपयोग (बिना अनुमति) करता है तो यह कानूनन अपराध माना जाता है।
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