
धर्म डेस्क। आचार्य चाणक्य द्वारा रचित 'चाणक्य नीति' में कई ऐसे सिद्धांत दिए गए हैं, जो आपके जीवन की मुश्किलों को हल करने और प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं। इन श्लोकों के माध्यम से यह समझते हैं कि व्यक्ति को किन स्थानों और किन लोगों पर अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
1. यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत् ॥
इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को उस देश या स्थान पर निवास नहीं करना चाहिए, जहां चार चीजों का अभाव हो। इसमें उन्होंने सम्मान, आजीविका, दोस्त/संबधी और विद्या को शामिल किया है। आचार्य के अनुसार, जिस स्थान पर ये बुनियादी आवश्यकताएं पूरी न होती हों, वहां रहकर आप कभी जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते हैं। ऐसे स्थान को तुरंत त्याग देने में ही व्यक्ति की भलाई है।
2. मूर्खस्तु परिहर्तव्यः प्रत्यक्षो द्विपदः पशुः।
भिनत्ति वाक्यशूलेन अदृश्यं कण्टकं यथा॥
आचार्य चाणक्य मूर्ख को दो पैरों वाले पशु के समान मानते हैं और सलाह देते हैं कि ऐसे व्यक्ति को त्याग देना चाहिए। चाणक्य समझाते हैं कि जिस प्रकार एक कांटा हमें दिखाई नहीं देता, लेकिन चुभने पर गहरा दर्द देता है, ठीक उसी प्रकार एक मूर्ख व्यक्ति के कटु और अज्ञान भरे शब्द भी आपको मानसिक रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए किसी भी कीमत पर एक मूर्ख व्यक्ति के साथ अपना बहुमूल्य समय कभी बर्बाद नहीं करना चाहिए।
3. मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥
इस श्लोक में चाणक्य उन स्थितियों का वर्णन करते हैं जहां विद्वान व्यक्ति भी दुखी हो जाता है। वह कहते हैं कि जिस व्यक्ति में सीखने की क्षमता न हो, उसे पढ़ाना समय की बर्बादी है। चाणक्य बताते हैं कि दुष्ट या बुरे चरित्र की स्त्री के साथ जीवन बिताने से मानसिक शांति भंग होती है। चाणक्य मानते हैं कि जो लोग निरंतर दुखी या रोगी हों, उनके बीच अत्यधिक रहने से आपकी सकारात्मक ऊर्जा कम हो जाती है।
4. धनिकः श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसे वसेत ॥
इस श्लोक में ऐसे 5 स्थानों का वर्णन किया गया है, जहां व्यक्ति को एक दिन भी नहीं रहना चाहिए। आचार्य चाणक्य के अनुसार, जहां कोई सेठ, वेदपाठी विद्वान (वेदपाठ करनेवाला ब्राह्मण), राजा और वैद्य न हो, साथ ही जहां कोई नदी न हो, ऐसे 5 स्थानों पर व्यक्ति को एक दिन भी नहीं रहना चाहिए।
अस्वीकरण- इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। नईदुनिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। नईदुनिया अंधविश्वास के खिलाफ है।