धर्म डेस्क, इंदौर। Durga Saptashati Path: जल्द ही शारदीय नवरात्र शुरू होंगे। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। नवरात्रि के दौरान भक्त कठिन नियमों के साथ देवी मां की पूजा करते हैं। नवरात्रि का त्योहार नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर भक्त पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, तो देवी मां की कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है। ऐसे में यदि आप भी दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं, तो इससे जुड़े कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती का पाठ मां दुर्गा को समर्पित है, जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार माँ ने देवताओं और संसार की रक्षा के लिए सबसे भयानक राक्षसों का वध किया था। दुर्गा सप्तशती की उत्पत्ति मार्कण्डेय पुराण से हुई है, जो 18 प्रमुख पुराणों में से एक है। इसकी रचना 400 से 600 ईस्वी के बीच हुई थी। दुर्गा सप्तशती को सबसे शक्तिशाली ग्रंथ माना गया है। दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय हैं, जिनमें कवच, अर्गला और कीलक शामिल हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय ध्यान देना चाहिए कि उन्हें पहले कवच, अर्गला और कीलक से शुरुआत करनी चाहिए, इनके बिना यह पाठ अधूरा माना जाता है। इस पाठ को करने से समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।
Tulsi Upay: तुलसी की मंजरी से आज ही करें ये उपाय, हो जाएंगे मालामाल, भरी रहेगी तिजोरी
डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'