नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। गणेशोत्सव के मौके पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के साथ उनकी पत्नियां रिद्धि और सिद्धि भी विशेष चर्चा में रहती हैं। धर्मग्रंथों में रिद्धि को समृद्धि और सिद्धि को सफलता व ज्ञान का प्रतीक माना गया है। विद्वानों का मानना है कि रिद्धि-सिद्धि का संदेश आधुनिक समय की महिलाओं के लिए गहरी प्रेरणा है।
गणेशजी की पत्नियां रिद्धि और सिद्धि महिलाओं को यह प्रेरणा देती हैं कि वे केवल परिवार की धुरी बनकर न रहें, बल्कि ज्ञान, आत्मनिर्भरता और संतुलन के साथ समाज और राष्ट्र की उन्नति में भी योगदान दें। रिद्धि-सिद्धि का संदेश यही है कि समर्पण, विवेक और संतोष के साथ ही सच्ची सफलता और समृद्धि हासिल की जा सकती है।
स्थानीय ज्योतिषाचार्य पं. रवि शर्मा के मुताबिक रिद्धि यह बताती हैं कि वास्तविक समृद्धि केवल धन या ऐश्वर्य में नहीं, बल्कि संतोष और संतुलन में है। महिला जब धैर्य और त्याग के साथ परिवार को संवारती है, तो वह रिद्धि का रूप धारण कर लेती है। गृहस्थ जीवन में संतुलन और संयम ही खुशहाली का असली आधार है।
पं. रवि शर्मा के मुताबिक सिद्धि को विवेक और सफलता का प्रतीक बताया गया है। आज की महिलाएं शिक्षा, रोजगार और समाज सेवा में अपनी पहचान बना रही हैं। सिद्धि का संदेश यह है कि ज्ञान और निरंतर प्रयास से ही सफलता संभव है। जब महिला अपने ज्ञान और कौशल से आत्मनिर्भर बनती है, तो वह परिवार और समाज दोनों के लिए प्रेरणा बन जाती है।
आचार्य डॉ. दीपक शर्मा कहते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रिद्धि और सिद्धि दोनों का संतुलन ही जीवन को सार्थक बनाता है। केवल धन से जीवन सुखमय नहीं हो सकता और केवल सफलता से भी संतोष नहीं मिलता। परिवार और समाज में उन्नति तभी संभव है जब समृद्धि और सफलता दोनों साथ हों।
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आज की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। वे नौकरी, व्यवसाय, शिक्षा और राजनीति में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। इसके साथ ही परिवार और रिश्तों को भी संभाल रही हैं। यही रिद्धि-सिद्धि का मूल संदेश है, खुशहाली और सफलता को साथ लेकर आगे बढ़ना।