Kharmas 2025: 16 दिसंबर को लगेगा खरमास, एक महीने रुक जाएंगे मांगलिक काम; इन बातों का रखें खास ध्यान
Kharmas 2025: खरमास वह समय है, जब सूर्य देव धनु राशि (गुरु राशि) में प्रवेश करते हैं। इसे धनु संक्रांति भी कहा जाता है। खरमास की शुरुआत के दौरान विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।
Publish Date: Fri, 05 Dec 2025 04:38:40 PM (IST)
Updated Date: Fri, 05 Dec 2025 04:38:40 PM (IST)
16 दिसंबर से शुरू होगा खरमास।धर्म डेस्क। साल 2025 के आखिर में एक बार फिर वह समय आने वाला है जब मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है और सूर्य उपासना का विशेष महत्व बढ़ जाता है। यह विशेष काल खरमास या धनु संक्रांति कहलाता है।
माना जाता है कि जब सूर्य देव गुरु की राशि धनु में प्रवेश करते हैं, तब एक माह तक विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते। इसके विपरीत, यह अवधि पूजा-पाठ, दान और तपस्या के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
खरमास कब शुरू होगा?
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इस वर्ष सूर्य का धनु राशि में प्रवेश 16 दिसंबर 2025 को होगा। इसी के साथ खरमास की शुरुआत भी मानी जाएगी। यह अवधि करीब एक महीने तक चलेगी और 14 जनवरी 2026 को समाप्त होगी, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
खरमास में सूर्य को अर्घ्य देने की विधि
खरमास के दौरान सूर्य देव की उपासना का अत्यंत महत्व बताया गया है। रोजाना प्रातःकाल अर्घ्य देने से स्वास्थ्य, तेज और सुख-समृद्धि बढ़ती है।
अर्घ्य देने की सरल विधि
- सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें लाल चंदन, लाल पुष्प व अक्षत मिलाएं।
- सूर्य की ओर मुख करके खड़े हों और दोनों हाथों को ऊपर उठाएं।
- पतली धार बनाते हुए जल अर्पित करें।
- जल की धारा से सूर्य की रोशनी को देखें और मन में आरोग्य व उन्नति की कामना करें।
- तामसिक भोजन, नकारात्मक विचार और अनावश्यक क्रोध से दूर रहें।
सूर्य मंत्र:
'ॐ घृणि सूर्याय नमः।'
खरमास में क्या करें और क्या न करें
क्या करें
- भगवान विष्णु, सूर्य देव और तुलसी जी की विशेष पूजा।
- दान-पुण्य, गरीबों की सहायता और तीर्थयात्रा।
- नियमित ध्यान और सत्संग।
क्या न करें
- विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या नया कारोबार शुरू करना।
- किसी भी बड़े मांगलिक कार्य की योजना बनाना।
खरमास का लाभ
धार्मिक मान्यता है कि इस अवधि में की गई पूजा और दान से व्यक्ति को रोगों से राहत, आर्थिक कष्टों में कमी और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
खरमास आत्मचिंतन और आध्यात्मिक उन्नति का महीना माना जाता है, जो नए वर्ष की शुरुआत से पहले मन, शरीर और विचारों की पवित्रता का अवसर देता है।