नक्षत्रों का राजा है पुष्य नक्षत्र, 27 नक्षत्रों में 8वां स्थान, शनि ग्रह है स्वामी
पुष्य नक्षत्र में सोना, चांदी, वाहन, भूमि, मकान और इलेक्ट्रानिक सामान जैसी वस्तुएं खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। मंगलवार को पड़ने के कारण इसे मंगल पुष्य और बुधवार को पड़ने के कारण बुध पुष्य कहा जाएगा। इस दिन मंत्र जाप, पूजा-पाठ और दान जैसे शुभ कार्य भी किए जा सकते हैं।
Publish Date: Mon, 13 Oct 2025 09:52:07 PM (IST)
Updated Date: Mon, 13 Oct 2025 10:00:48 PM (IST)
पालन पोषण और समृद्धि का प्रतीक पुष्य नक्षत्र।HighLights
- पुष्य नक्षत्र को धन, वैभव और यश का प्रतीक माना गया है।
- इस नक्षत्र में घर, वाहन, संपत्ति की खरीदारी शुभ होती है।
- साथ ही कोई बड़ा निवेश करना बहुत उत्तम माना गया है।
धर्म डेस्क। पुष्य नक्षत्र वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में आठवां स्थान माना जाता है। इनमें से पुष्य नक्षत्र को राजा माना गया है। इसका स्वामी शनि ग्रह होता है और इसका प्रतीक गाय का थन है, जो पालन पोषण और समृद्धि का प्रतीक है। इसे धन, वैभव और यश का प्रतीक माना गया है। कहते हैं कि इस नक्षत्र में घर, वाहन, संपत्ति की खरीदारी या कोई बड़ा निवेश करना बहुत उत्तम होता है। यदि आप दिवाली से पहले सोना, चांदी, वाहन या कोई इलेक्ट्रोनिक आइटम खरीदने की योजना बना रहे हैं तो 14 अक्टूबर मंगलवार को पुष्य नक्षत्र की शुभ वेला पर खरीद सकते हैं।
![naidunia_image]()
Pushya Nakshatra 2025: पुष्य नक्षत्र बाजार रहेंगे गुलजार, धनतेरस से पहले बरसेगा धन, इन चीजों की होगी जमकर खरीदारी
- ज्योतिष-शास्त्र में सभी नक्षत्रों में इस नक्षत्र को सबसे अच्छा माना जाता है। पुष्य का अर्थ है पोषण करने वाला, ऊर्जा व शक्ति प्रदान करने वाला। विद्वान इसे बहुत शुभ और कल्याणकारी मानते हैं।
- उनके विचार से गाय का दूध पृथ्वी लोक का अमृत है। पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजे दूध सरीखा पोषणकारी, लाभप्रद व देह और मन को प्रसन्नता देने वाला होता है।
- पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ या मांगलिक तारा भी कहते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है।
- इस नक्षत्र में जिसका जन्म होता है वे दूसरों की भलाई के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, इन्हें दूसरों की सेवा और मदद करना अच्छा लगता है।
- इस नक्षत्र के जातक मेहनत और परिश्रम से कभी पीछे नहीं हटते और अपने काम में लगनपूर्वक जुटे रहते हैं।
![naidunia_image]()
Diwali Pushya Nakshatra: दीपावली से पहले दो दिन रहेगा खरीदी का महामुहूर्त पुष्य
पुष्य नक्षत्र का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में पुष्य नक्षत्र का विशेष धार्मिक महत्व है। इसे भगवान बृहस्पति का भी नक्षत्र माना जाता है। इसी नक्षत्र में मां लक्ष्मी का भी प्राकट्य होता है। इसलिए इसे समृद्धि का भी प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र में किए पूजा अनुष्ठान विशेष फलदायी होते हैं।
शुभ खरीदारी
ज्योतिचार्य दीपक गोस्वामी ने बताया कि पुष्य नक्षत्र में सोना, चांदी, वाहन, भूमि, मकान और इलेक्ट्रानिक सामान जैसी वस्तुएं खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। मंगलवार को पड़ने के कारण इसे मंगल पुष्य और बुधवार को पड़ने के कारण बुध पुष्य कहा जाएगा। इस दिन मंत्र जाप, पूजा-पाठ और दान जैसे शुभ कार्य भी किए जा सकते हैं।
- मंगलवार, 14 अक्टूबर पुष्य नक्षत्र
- शुक्रवार, 17 अक्टूबर सिद्धि राजयोग
- शनिवार, 18 अक्टूबर धन त्रयोदशी (धनतेरस)
- रविवार, 19 अक्टूबर - अमृत सिद्धि योग
- सोमवार, 20 अक्टूबर- दो सर्वाथ सिद्धि योग
इस दिन क्या न खरीदें
ज्योतिष के अनुसार, धारदार वस्तुएं जैसे चाकू, कैंची आदि खरीदने से बचना चाहिए।