धर्म डेस्क, इंदौर, Gangajal Abhishek। हम अक्सर सुनते हैं कि सावन के महीने में गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करना शुभ माना जाता है। इससे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्त को मन चाहा वर प्रदान करते हैं।
कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि यदि गंगा जल नहीं है, तो कैसे जलाभिषेक करें। शास्त्रों में इसका समाधान भी दिया गया है। धर्म ग्रंथों में एक ऐसे मंत्र है, जिससे सामान्य जल भी गंगा जल बन जाएगा।
इसके लिए तांबे के स्वच्छ पात्र में स्वच्छ जल लें। यह कहीं का भी साफ-सुथरा पानी हो सकता है। पूजा शुरू करते समय जल से भरा हुआ पात्र हाथ में लें (दायां हाथ नीचे और बायां हाथ ऊपर) और नीचे दिए गया मंत्र पढ़ें -
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु॥
ऋग्वेदो यजुर्वेदो सामवेदो अथर्वण।
अंगेश्च सहिता सर्वे कलशं तु समास्थितः॥
अत्र गायत्री सावित्री शांति पुष्टि करी।
तथा आयांतु मम शांत्यर्थम् दुर्यतक्षेकार्यकः॥
इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें, मंत्रोच्चार करते हुए उनका अभिषेक करें और चंदन-तिलक आदि लगाएं। सावन माह के दौरान यह कार्य घर अथवा मंदिर में किया जा सकता है।
बता दें, सावन के दौरान शिवभक्तों द्वारा पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया जा रहा है। गंगाजल, दूध, शहद, बेलपत्र, पुष्पों से जब शिवलिंगों का अभिषेक किया जा रहा है।
यहां भी क्लिक करें - 100 साल बाद इस बार राखी पर भद्रा का साया नहीं, बहनें भाई की कलाई पर दिनभर बांध सकेंगी रेशम की डोर
ॐ नमः शिवाय सबसे प्रिय मंत्र
ॐ नमः शिवाय भगवान शिव का सबसे प्रिय मंत्र माना जाता है। इसके अलावा सावन में शिवमहापुराण पाठ किसी भी समय किया जा सकता है। हालांकि शाम के समय प्रदोष काल में इसका पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है।