धर्म डेस्क: शारदीय नवरात्र 2025 (Shardiya Navratri) का पावन पर्व 30 सितंबर (अष्टमी) और 1 अक्टूबर (नवमी) को कन्या पूजन (Kanya Pujan Gift) के साथ विशेष महत्व रखता है। परंपरा के अनुसार, इन तिथियों पर कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार देकर विदा किया जाता है। सही वस्तुएं उपहार में देने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और साधक को आशीर्वाद देती हैं। वहीं, कुछ वस्तुएं भूलकर भी नहीं देनी चाहिएं। आइए जानते हैं कन्या पूजन से जुड़े महत्वपूर्ण नियम।
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की उपासना के लिए समर्पित होता है। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथियों पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन कन्याओं को आमंत्रित कर भोजन कराया जाता है और उन्हें उपहार देकर विदा किया जाता है। मान्यता है कि कन्याएं देवी शक्ति का स्वरूप हैं और उनकी पूजा करने से साधक को माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कन्या पूजन के समय कन्याओं को भोजन करवाने के बाद उन्हें खाली हाथ विदा करना अशुभ माना गया है। इसके बजाय उन्हें उपयोगी और शुभ वस्तुएं देना अत्यंत फलदायी होता है।
कन्या पूजन में कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जिन्हें भूलकर भी नहीं देना चाहिए, क्योंकि इन्हें अशुभ माना जाता है।
कन्या पूजन के अंत में कन्याओं को आदरपूर्वक विदा करना चाहिए। भोजन और उपहार देने के बाद उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए। माता रानी के जयकारे लगाते हुए प्रसन्नता से कन्याओं को विदा करना शुभ माना गया है। इस दौरान यह ध्यान रखना जरूरी है कि कोई भी कन्या खाली हाथ न जाए।
शारदीय नवरात्र 2025 में 30 सितंबर (अष्टमी) और 1 अक्टूबर (नवमी) को किया जाने वाला कन्या पूजन भक्तों के लिए विशेष फलदायी होगा। यदि इस अवसर पर कन्याओं को उचित और शुभ वस्तुएं उपहारस्वरूप दी जाएं तो माता रानी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, अशुभ वस्तुएं देने से साधक को विपरीत फल मिल सकते हैं। इसलिए कन्या पूजन में सही उपहार देना और सम्मानपूर्वक विदाई करना अनिवार्य है।
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