
धर्म डेस्क: हिंदू धर्म में गंगाजल को अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ और संस्कारों में गंगाजल का विशेष महत्व होता है। यह न केवल शुद्धता का प्रतीक है, बल्कि इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बनारस (काशी) से गंगाजल लाना अशुभ माना जाता है? इसके पीछे एक गहरा धार्मिक कारण है, जो मोक्ष और आत्मा से जुड़ा हुआ है।

बनारस या काशी, भगवान शिव की नगरी मानी जाती है और इसे मोक्ष की भूमि कहा गया है। यहां स्थित मणिकर्णिका घाट पर प्रतिदिन असंख्य लोगों का अंतिम संस्कार होता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति काशी में देह त्याग करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। दाह संस्कार के बाद राख को गंगा में प्रवाहित किया जाता है, जिससे मृत आत्मा की मुक्ति पूर्ण होती है।
ऐसी धार्मिक धारणा है कि बनारस से गंगाजल लाने पर उसमें मृत आत्माओं के अवशेष या राख के अंश आ सकते हैं। इससे उन आत्माओं की मुक्ति प्रक्रिया बाधित हो सकती है। इसी कारण बनारस से गंगाजल घर लाना निषेध बताया गया है। कहा जाता है कि यह गंगाजल मोक्ष प्राप्त आत्माओं से जुड़ा होता है, इसलिए इसे घर में रखना शुभ नहीं माना जाता।
काशी में कई तांत्रिक और मोक्ष कर्मकांड भी होते हैं। यहां का गंगाजल अनेक आत्माओं और साधकों के स्पर्श से गुजरता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा जल घर में लाने से नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर सकती है, जिससे शुभ कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है।
कुछ लोक मान्यताओं में यह भी कहा गया है कि काशी की मिट्टी या गंगाजल घर लाने वाला व्यक्ति उन आत्माओं को मोक्ष से वंचित करता है, जिससे उसे पाप का भागीदार माना जाता है।
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