
धर्म डेस्क। जहां आमतौर पर हनुमान जी की खड़े हुए स्वरूप में मूर्तियां देखने को मिलती हैं, वहीं प्रयागराज (इलाहाबाद) के संगम तट पर उनका एक अनोखा रूप स्थापित है यानी लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा। संगम स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन किए बिना अपनी यात्रा को अधूरा मानते हैं।
पौराणिक कथा
कथाओं के मुताबिक, लंका विजय के बाद लौटते समय हनुमान जी बेहद थक गए थे। तभी माता सीता ने उन्हें संगम तट पर विश्राम करने की सलाह दी। सीता माता के कहने पर हनुमान जी ने यहां आराम किया, और उसी घटना की स्मृति में इस स्थान पर उनका लेटा हुआ स्वरूप पूजित होता है।
मंदिर निर्माण से जुड़ी कथा
एक अन्य कथा बताती है कि प्राचीन समय में एक व्यापारी नाव से हनुमान जी की यह मूर्ति कहीं और ले जा रहा था। लेकिन जैसे ही नाव संगम के पास पहुंची, मूर्ति नीचे गिर गई। व्यापारी ने काफी कोशिश की, मगर मूर्ति हिल भी नहीं पाई। रात में उसे सपने में हनुमान जी के दर्शन हुए और उन्होंने कहा कि वे इसी स्थान पर विराजना चाहते हैं। इसके बाद व्यापारी ने मूर्ति को वहीं रहने दिया।
मंदिर की विशेषताएं
यह प्राचीन मंदिर लगभग 600 से 700 साल पुराना माना जाता है। यहां स्थापित लेटी हुई प्रतिमा लगभग 20 फीट लंबी है और इसका एक हिस्सा जमीन से करीब 6 से 7 फीट नीचे तक जाता है। प्रतिमा में हनुमान जी के बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण को दबा हुआ दर्शाया गया है। दाएं हाथ पर राम और लक्ष्मण के दर्शन होते हैं, जबकि बाएं हाथ में गदा है।
इस मंदिर की सबसे अद्भुत बात यह मानी जाती है कि यहां हनुमान जी का स्नान कराने स्वयं गंगा जी मंदिर परिसर में प्रवेश करती हैं। यह दृश्य भक्तों के लिए अत्यंत चमत्कारिक होता है।