
धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान, संगीत, साहित्य और सृजनशीलता की देवी माना गया है। विद्यार्थी, कलाकार, लेखक, गायक और शिक्षा से जुड़े लोग विशेष रूप से उनकी आराधना करते हैं। आपने यह कहावत जरूर सुनी होगी “कभी-कभी हमारी जिव्हा पर मां सरस्वती विराजमान होती हैं।” लेकिन आखिर इसका क्या अर्थ है और यह कब होता है? आइए जानते हैं।
कब होता है मां सरस्वती का वास जीभ पर
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त वह समय होता है जब मां सरस्वती जीभ पर विराजती हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, ब्रह्म मुहूर्त का समय लगभग सुबह 4 बजे से 5:30 बजे तक माना जाता है। यह दिन का सबसे शुभ समय होता है। इस समय बोले गए शब्द अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं और कहा जाता है कि इस दौरान कही गई बातें सच होने की संभावना अधिक रहती है।
इन गलतियों से करें परहेज
ऐसा माना जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त के दौरान किसी भी प्रकार की अशुभ या नकारात्मक बातें नहीं बोलनी चाहिए। इस समय मन में नकारात्मक विचार लाना भी अनुचित माना जाता है, क्योंकि यह समय देवी सरस्वती का होता है और उनकी उपस्थिति में बोले गए शब्द साकार हो सकते हैं। इसलिए इस समय हमेशा सकारात्मक बातें करें और शुभ विचार मन में रखें।
ब्रह्म मुहूर्त में करने योग्य कार्य
इस समय उठने की आदत डालें, क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त में उठना अत्यंत शुभ माना जाता है।
उठने के बाद स्नान, ध्यान और प्रार्थना करें इससे न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि शरीर और मन भी स्वस्थ रहता है।
सुबह उठकर अपनी हथेलियों को देखकर यह मंत्र जप करें- “कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती, करमूले स्थितो ब्रह्मा, प्रभाते करदर्शनम्।”
ऐसा करने से व्यक्ति पर मां सरस्वती के साथ-साथ देवी लक्ष्मी और भगवान ब्रह्मा की कृपा बनी रहती है।