Chanakya Niti। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि राष्ट्र, समाज और परिवार में सभी व्यक्तियों को अपनी-अपनी जिम्मेदारी होती है। आचार्य चाणक्य ने परिवार को समाज की मूलभूत इकाई बताया है और परिवार नाम की संस्था के हर सदस्य की अपनी एक जिम्मेदारी होती है। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि पत्नी, पुत्र और मित्र ये प्रमुख गुण जरूर होना चाहिए।
तन्मित्रं यस्य विश्वासः सा भार्या यत्र निवृत्तिः
आचार्य चाणक्य के अनुसार, केवल वही आदमी पुत्र कहलाने योग्य है, जो अपने माता-पिता की आज्ञा का सदैव पालन करता है। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि पिता के रूप में वह इंसान योग्य होता है, जो अपनी संतान का अच्छे से पालन-पोषण करता हो, उनके दुख-सुख का ध्यान रखता हो। इसी प्रकार आचार्य चाणक्य ने कहा है कि विश्वसनीय व्यक्ति ही सच्चा मित्र और पति को सुख देने वाली स्त्री ही वास्तव में अच्छी पत्नी कहलाती है।
वर्जयेत् तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम्
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, जिस प्रकार बाहर से सुंदर दिखाई देने वाले फल अंदर से मीठे नहीं होते है। ठीक वैसे ही मीठे बोल बोलने वाले घातक और धोखेबाज हो सकते हैं। आपके सामने तारीफ करने वाले और पीठ पीछे निंदा करने वाले मनुष्य कभी भी दोस्ती के लायक नहीं होते हैं। ऐसे मनुष्य विष मिले दूध के समान होते हैं, इसलिए इनसे हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
कदाचित् कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत्
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि निकृष्ट मित्र पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। साथ ही चाणक्य ने कहा कि अपनी गुप्त बातें कभी भी अपने परम मित्र को भी नहीं बताना चाहिए, क्योंकि गुप्त रहस्य जानने के बाद हितैषी मित्र भी शत्रु बन सकता है।
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