नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। ‘कुछ ही दिनों में नववर्ष का कैलेंडर बदल जाएगा। आधी रात को युवक-युवतियां दारू पीकर हंगामा करते और बहुत से लोग लड़ते झगड़ते और गटर में गिरते नजर आते हैं। यह हमारी संस्कृति नहीं है। सनातन संस्कृति का नया वर्ष चैत्र महीने में आता है, जब ऋतु बदलती है, हरियाली छाई रहती और सभी प्रफुल्लित नजर आते हैं। देवी-देवताओं की पूजा होती है और पवित्र गंगाजल का पान होता है। हमारी संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है। सभी हिंदू चैत्र नवरात्र में ही नववर्ष मनाएं।’
यह संदेश सीहोर के पं. प्रदीप मिश्रा ने शिव पुराण कथा के दूसरे दिन दिया। सेजबहार में आयोजित कथा में पं. मिश्रा ने कहा कि हैप्पी न्यू ईयर से केवल कैलेंडर बदलता है, चरित्र नहीं बदलता। अंग्रेजी नव वर्ष में भगवान की भक्ति नहीं, बल्कि फुहड़ता और शराब परोसी जाती है, जबकि, हिंदू नव संवत्सर शुरू होते ही मन और चरित्र दोनों पवित्र होता है। हिंदू भाई बहन देवी आराधना में जुटकर व्रत, पूजा पाठ से अपने आपको पवित्र करते हैं।
पं. मिश्रा ने कहा कि अपने बच्चों को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्या माता, वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप जैसे वीरों की गाथाएं सुनाएं। वैसे ही उनको वस्त्र पहनाएं। अपने बच्चों को ऐसे कपड़े नहीं पहनाना चाहिए, जिससे वह जोकर की तरह दिखने लगे।
सनातन धर्म को मजबूत बनाने के लिए हिंदू भाई बहनों को मजबूती के साथ कार्य करना चाहिए। दूसरे धर्म में जाकर जूठन खाने का कार्य नहीं होना चाहिए। पं.मिश्रा ने नए वर्ष के पूर्व कथा के विशाल आयोजन पर देवांगन परिवार का आभार जताया।