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धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आचार्य चाणक्य को भारतीय इतिहास के महान विद्वानों में गिना जाता है, जिन्हें अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र का जनक माना जाता है। उनकी रचित चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं, जो व्यक्ति को मुश्किल हालातों से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने विशेष रूप से उन स्थितियों का उल्लेख किया है, जहाँ व्यक्ति को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए।
चाणक्य नीति बताती है कि जीवन में कई बार ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं, जिन पर हमारा कोई काबू नहीं होता। इस स्थिति में व्यक्ति को अपने गुस्से को शांत रखते हुए धैर्य से काम लेना चाहिए। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसी अनियंत्रित स्थिति में गुस्सा करने से हालात बेहतर नहीं होंगे, बल्कि और बिगड़ जाएंगे। उनका स्पष्ट मत है कि क्रोध में लिए गए फैसले हमेशा नुकसानदायक होते हैं, इसलिए ऐसी परिस्थिति में अपने गुस्से पर काबू रखना ही बुद्धिमानी है।
कई माता-पिता छोटी-मोटी बातों पर ही अपने बच्चों को डांटते हैं या गुस्सा करते हैं। इस विषय पर आचार्य चाणक्य का कहना है कि बच्चे अपनी गलतियों से सीखते हैं और नए-नए अनुभव हासिल करते हैं। यदि हम उनकी छोटी गलतियों पर गुस्सा करेंगे, तो वह प्रयास करना छोड़ देंगे और कई नए अनुभवों से वंचित रह जाएंगे। इसलिए माता-पिता को बच्चों को उनकी छोटी-छोटी त्रुटियों पर नहीं डांटना चाहिए, बल्कि उन्हें सीखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
चाणक्य नीति में यह भी बताया गया है कि हमें कभी भी घर के बड़े-बुजुर्गों की बातों पर गुस्सा नहीं करना चाहिए। हो सकता है कि जनरेशन गैप के कारण उनके विचार तुरंत समझ न आएं, लेकिन दुनिया को देखने और जीने का उनका अनुभव हमेशा हमसे ज्यादा होता है। इसलिए, आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बड़े लोगों की सलाह या बातों पर गुस्सा करने के बजाय, उन्हें धैर्य के साथ सुनना चाहिए और उनके अनुभवों का सम्मान करना चाहिए।
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