धर्म डेस्क। हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष विशेष महत्व रखता है, जिसे पूर्वजों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। पितृ पक्ष शुरू होने में अब बस कुछ दिन बाकी हैं। इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरु होकर 21 सितंबर तक चलने वाले हैं। माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति को पितृ दोष लग जाए, तो उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बड़ी बात यह है कि यह दोष या पितृ ऋण केवल उसी पीढ़ी तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी इसका सामना करना पड़ता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इससे कैसे बचाव किया जा सकता है।
ऐसा माना गया है कि पितृ ऋण या पितृदोष का प्रभाव सात पीढ़ियों तक रह सकता है। शास्त्रों में बताया गया है कि उन लोगों को पितरों की नाराजगी का सामना करना पड़ता है, जिनके घर में मांस-मदिरा का सेवन किया जाता है। इसके अलावा जो पितरों का अपमान करता है, उसे भी पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है। माना जाता है कि पितृ दोष लगने की सूरत में परिवार में लड़ाई-झगड़े क माहौल बना रहता है, साथ ही पीड़ित लोगों को संतान प्राप्ति में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा विवाह में देरी, आर्थिक नुकसान, करियर व कारोबार में रुकावट जैसी दिक्कतें भी आती हैं।
पितृ दोष लगने की सूरत में पितृ पक्ष में विधि-विधान से तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें, ताकि पितरों की कृपा हासिल हो सके। माना जाता है कि पितृ दोष लगने पर पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौवे, देव और चींटी के लिए भी भोजन निकालना चाहिए।
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