नईदुनिया न्यूज, तेंदूखेड़ा। पितरों की अक्षय तृप्ति के लिए श्राद्ध तर्पण आदि कर्मों के लिए विशिष्ट माने जाने वाला पितृ पक्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा सात सितंबर से प्रारंभ होकर आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या 21 सितंबर तक चलेगा। इसमें अपने पितरों की उत्तम गति एवं अक्षय तृप्ति के लिये पार्वण श्राद्ध एकोदिष्ट श्राद्ध और तर्पण आदि किया जाता है।
विद्वान पुरोहित कर्मकांड स्नातक आचार्य प्रमोद पचौरी ने बताया कि तर्पण प्रत्येक सनातनी का नित्य कर्म है। प्रतिदिन तर्पण न करने वाले लोगों को महालय पितृपक्ष में अवश्य तर्पण करना चाहिए। इस वर्ष पूरे विश्व में चार ग्रहण लग रहे हैं। जिसमें दो सूर्यग्रहण एवं दो चंद्र ग्रहण होंगे। इनमें से केवल दो चंद्र ग्रहण ही भारत में दिखाई देंगे।
भारतीय पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा रविवार 7 सितंबर को लगने वाला खण्डग्रास चंद्रग्रहण संपूर्ण भारत में दिखाई देगा। यह ग्रहण शतभिषा पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र और कुंभ राशि पर होगा। चंद्र ग्रहण का स्पर्श रात्रि 9:57 बजे और मोक्ष मध्य रात्रि के बाद 1:27 बजे होगा। ग्रहण का पर्वकाल 3 घंटा 30 मिनिट रहेगा। इसका सूतक तीन पहर अर्थात 9 घंटे पहले दोपहर दिन में 12 बजकर 57 मिनिट से प्रारंभ हो जायेगा।
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पूर्णिमा से श्राद्ध तर्पण प्रारम्भ हो जाते हैं, अतः सूतक प्रारंभ होने के पूर्व श्राद्ध तर्पण संबंधी सभी कार्य किए जा सकेंगे। पितृ मोक्ष अमावस्या आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या 21 सितंबर रविवार को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। ग्रहण एक दृश्य पर्व होने के कारण भारत में इस ग्रहण का कोई सूतक नहीं लगेगा। सभी धार्मिक कार्य श्राद्ध तर्पण आदि विधिवत संपन्न किए जा सकेंगे।