धर्म डेस्क, इंदौर, Guru Purnima 2025। गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी 10 जुलाई, गुरुवार को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। वेदव्यास जो ऋषि पराशर के पुत्र थे।
शास्त्रों के अनुसार- महर्षि व्यास को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है। इस दिन गुरु पूजन करने का खास महत्व है, साथ ही शुभ अवसर पर पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है।
गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से सावन मास प्रारंभ हो जाता है, जिसका उत्तर भारत में बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और वेद व्यास की पूजा-अर्चना करने का खास महत्व है।
वहीं हमारे जीवन में गुरु का महत्व समझाने के लिए इस पर्व को मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा पर लोग अपने गुरुओं को उपहार देते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं।
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विभिन्न शहरों में प्रमुख गुरु स्थानों पर पादुका पूजन व गुरु पूजन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में पूर्णिमा पर पुराने जिला कोर्ट भवन के पास स्थित गिर्राज मंदिर, सनातन धर्म मंदिर स्थित गिरिराज धारण मंदिर व मुरार सदर बाजार स्थित गिर्राज मंदिर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं। देवशयनी एकादशी से गिर्राज जी परिक्रमा लगाने के लिए मथुरा-वृंदावन जाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
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गुरु पूर्णिमा के दिन, गुरु (शिक्षक) की पूजा करने के लिए, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर, अपने गुरु से आशीर्वाद लें, उन्हें तिलक और पुष्प की माला से सम्मानित करें। साथ हीं उन्हें उपहार के रूप में अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा अर्पित करें। जिन लोगों के गुरु उपलब्ध नहीं है या इस दुनिया में नहीं है तो उनकी तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करें, उन्हें चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप और मिठाई अर्पित करें, आरती करें और गुरु मंत्र का जाप करें।