
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। शहर में भगवान शिव के रुद्र रूप काल भैरव की जयंती बुधवार 12 नवंबर को हर्षोल्लास से मनाई जाएगी। इस वर्ष अश्लेषा और मघा नक्षत्र में काशी के कोतवाल का पूजन कर श्रद्धालु दाल, बाटी और चूरमे का भोग लगाएंगे। इस अवसर पर शहर के मंदिर में विराजित महादेव के उग्र स्वरूप को फूल बंगले में विराजित किया जाएगा। साथ ही शोभायात्राएं निकाली जाएगी। उत्सवी उल्लास के इस अवसर पर विभिन्न स्थानों पर भंडारे होंगे।
आचार्य शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर को रात 11.08 बजे से होगी जो अगले दिन 12 नवंबर को रात 10.58 बजे तक रहेगी। 12 नवंबर को सुबह 6 बजकर 35 मिनिट तक अश्लेषा और उसके बाद मघा नक्षत्र रहेगा। इसी तरह सुबह 8.02 मिनिट शुक्ल और ब्रह्म योग रहेगा। यह दोनों योग ज्योतिष में शुभ बताए गए है। यह योग आध्यात्मिक उन्नति और पवित्रता देने वाले है। काल भैरव की पूजा का निशा काल में और जन्म आरती दोपहर में करने का महत्व है। इसलिए दोनों ही दिन मतमतांतर के साथ जयंती मनाई जाएगी।
ज्योतिर्विद कान्हा जोशी के अनुसार तंत्र साधना के मूल उपासक भैरव की अलग-अलग प्रकार से साधना उपासना करते हैं। इसमें वैदिक व तामसी दोनों ही प्रकार की पूजन का उल्लेख है। भैरव मूल रूप से तमोगुण का आधिपत्य भैरव के पास है। इस दृष्टि से भैरव की रात्रि काल में की गई साधना विशेष फल प्रदान करती है लेकिन सामान्य भक्त चार प्रहर में भगवान की पूजा अर्चना कर सकते हैं। भैरव मंदिर खजराना में अष्टमी पर शनिवार को विभिन्न आयोजन होंगे। पुजारी गुलशन अग्रवाल ने बताया कि इस अवसर पर दोपहर को महा आरती होगी। इसके साथ ही आराध्य को फूल बंगले में विराजित कर छप्पन भोग लगाया जाएगा। पंचकुइया स्थित काल भैरव मंदिर पर विशेष शृंगार होगा। दिनभर दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की कतार लगेगी।
ज्योतिर्विद देवेद्र कुशवाह के अनुसार शिव के रौद्र रूप काल भैरव की उत्पत्ति मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। काल भैरव की पूजा से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है। तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए काल भैरव की पूजा विशेष लाभदायक है। ग्रह दोषों से मुक्ति के लिए और अकाल मृत्यु का भय भी साधना से दूर होता है।
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श्री नंद भैरवबाबा समिति द्वारा नंदानगर मेन रोड स्थित नंद भैरव मंदिर में फूल बंगले में आराध्य के दर्शन होंगे। इसके साथ ही प्रसादी वितरण भी होगा। बियाबानी चौराहा स्थित चैतन्य काल भैरव मंदिर में आराध्य को छप्पन भोग लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त किला मैदान स्थित मंशापूर्ण काल भैरव धाम, ग्वाला भैरव मंदिर विजय नगर, काल भैरव मंदिर राजवाड़ा, काल भैरव मंदिर महूनाका, बटुक भैरव मंदिर छोटी ग्वालटोली में पूजा अर्चना होगी।