धर्म डेस्क, इंदौर (Mauni Amavasya 2025)। माघ मास की मौनी अमावस्या 29 जनवरी को सिद्धि योग में आएगी। इस दिन मोक्षदायिनी पवित्र नदियों में पर्व स्नान होगा।
मकर संक्रांति पर सूर्य देव के उत्तरायण होने के बाद मौनी अमावस्या पहला महापर्व रहेगा, जिसमें श्रद्धालु स्नान दान तथा पितृ कर्म करेंगे। प्रयागराज कुंभ में भी इस दिन स्नान रहेगा।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रह नक्षत्र की स्थिति के आधार पर अलग-अलग प्रकार के कुंभ, महाकुंभ और सिंहस्थ की स्थिति बनती है। इस बार जो ग्रह नक्षत्र की स्थिति बन रही है, इस योग स्थिति में प्रयागराज में कल्पवास या स्नान करने का बड़ा महत्व है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार यदि श्रद्धालु किसी कारणवश प्रयागराज नहीं जा सकते हैं तो शिप्रा, नर्मदा सहित अन्य तीर्थ पर भी कल्पवास कर सकते हैं।
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बुध आदित्य योग की साक्षी मौनी अमावस्या के दिन ग्रह गोचर में सूर्य, बुध का युति संबंध रहेगा। इस दृष्टि से यह बुध आदित्य योग का निर्माण करेगा। यह योग धर्म कर्म की साक्षी देने वाला माना गया है।
इस योग में किया गया धर्म, पुण्य का कार्य, सत्संग, तीर्थ की यात्रा, कल्पवास, धार्मिक अनुष्ठान आदि सभी कार्य अनुकूल व सफल मान जाते हैं। इस दृष्टि से इस योग में धर्म कार्य अवश्य करना चाहिए।
योग्य विद्वान ब्राह्मण को वस्त्रदान, अन्नदान तथा पात्रदान का दान करना चाहिए। यह करने से पितरों की अनुकूलता होती है साथ ही परिवार में सुख शांति के साथ में आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।