नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। पंच पर्व में धनतेरस के बाद दूसरा त्योहार रूप चतुर्दशी होगा। इसे नरक चतुर्दशी और काली चौदस भी कहते है। इस वर्ष इस पर्व पर किए जाने वाला अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए दीपदान, कालरात्रि पूजन और रूप सौंदर्य के लिए अभ्यंग स्नान अलग-अलग दिन होगा।
ज्योतिर्विदों के अनुसार इस पर्व पर यमराज के साथ भगवान कृष्ण और मां काली का भी पूजन किया जाता है। काली मंदिर के पुजारी आचार्य शिवप्रसाद तिवारी बताते है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 19 अक्टूबर को दोपहर 1.51 से 20 अक्टूबर को दोपहर 3.44 बजे तक रहेगी।
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उदयातिथि में होने से अभ्यंग्य स्नान का मुहूर्त 20 अक्टूबर को सुबह 5.13 से 6.25 बजे तक एक घंटा 12 मिनिट तक रहेगा। नरक चतुर्दशी का दीपदान प्रदोषकाल में रात्रि में काली पूजन 19 अक्टूबर को किया जाएगा। माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वधकर 16 हजार गोपियों को उसकी कैद से मुक्त कराया था।