नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। महालय श्राद्धपक्ष की सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या इस बार 21 सितंबर रविवार को सर्वार्थसिद्धि योग के महासंयोग में आ रही है। धर्मशास्त्र की मान्यता के अनुसार सर्वार्थसिद्धि योग हर कार्य में सफलता प्रदान करने वाला माना गया है। इस योग में पितरों का श्राद्ध करने से विशेष शुभफल की प्राप्ति होती है तथा शुभ मांगलिक कार्यों में आ रही बाधा समाप्त होकर उन्नति के द्वार खुलते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या इस बार 21 सितंबर को रविवार के दिन पूर्वाफाल्गुनी उपरांत उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, शुभ योग व चतुष्पद करण की साक्षी में आ रही है। पांच के यह पांच अंग ही इस दिन को खास बना रहे हैं।
रविवार के दिन अमावस्या तिथि शुभफलदायी मानी गई है। सुबह पूर्वाफाल्गुनी तथा उसके बाद उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का होना सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण कर रहा है। यह योग सभी प्रकार के कार्यों में सिद्धि प्रदान करने वाला माना गया है। चतुष्पद करण श्राद्धकर्ता को चार गुना शुभ फल प्रदान करने वाला रहेगा।
इस प्रकार के योग संयोग में महालय श्राद्धपक्ष के आखिरी दिन श्रद्धालु अपने पितरों की प्रति तीर्थ श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान कर सकते हैं। घर पर धूप ध्यान, ब्राह्मणों को भोजन, गायों का चारा, श्वान को अन्न का भाग, भिक्षुकों को अन्न अर्पण करने से भी पितृ प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पं.डब्बावाला ने बताया इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर जिस प्रकार के योग संयोग बन रहे है, वैसे याेग संयोग दशकों में एक बार बनते हैं। इस कालखंड में अगर व्यक्ति अपने पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान, धूप ध्यान, वस्त्रदान, पात्रदान आदि करे तो श्राद्धकर्ता को वंश वृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु की प्राप्ति होती है। वहीं पितरों को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। इस दृष्टि से सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ सर्व पितृ अमावस्या पर अपने पूर्वजों के निमित्त यथा श्रद्धा यथा भक्ति श्राद्ध कर्म करना चाहिए।