
डिजिटल डेस्क। रामनगरी में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम 25 नवम्बर को आयोजित किया जाएगा। ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ध्वजारोहण करेंगे। राम मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराने के बाद मंदिर का मुख्य निर्माण कार्य पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा। इसके बाद मंदिर आम भक्तों के लिए पूरी तरह खोल दिया जाएगा। अभी तक केवल गर्भगृह और प्रथम तल तक ही भक्तों को प्रवेश मिलता है, लेकिन शिखर कलश और ध्वजारोहण के बाद पूरे मंदिर परिसर में दर्शन की व्यवस्था शुरू हो जाएगी।
ध्वजारोहण कार्यक्रम में देश-विदेश से आने वाले संत-महंत, वीवीआईपी और विशेष अतिथियों की संख्या हजारों में होने का अनुमान है। योगी सरकार ‘अतिथि देवो भव:’ की भावना के साथ मेहमानों का भव्य स्वागत-सत्कार करेगी। सभी अतिथियों के लिए ठहरने, भोजन और परिवहन की उच्चस्तरीय व्यवस्था की जा रही है। इन सभी को सुगमता से मंदिर तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन ने विशेष योजना तैयार की है। पार्किंग स्थलों से राम मंदिर तक मेहमानों को गोल्फ कार्ट की सुविधा दी जाएगी। इसके लिए सभी प्रमुख पार्किंग क्षेत्रों पर ही गोल्फ कार्ट तैनात रहेंगे। इससे पैदल चलने की परेशानी से मेहमानों को निजात मिलेगी और यातायात व्यवस्था भी सुचारु रहेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि यह कार्यक्रम विश्व पटल पर भारत की आस्था और संस्कृति का प्रतीक बने। 25 नवम्बर के कार्यक्रम को देखते हुए अयोध्या में मल्टी लेयर सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। हजारों पुलिसकर्मी, पीएसी, सीआरपीएफ और खुफिया एजेंसियों की टीमें तैनात रहेंगी। ड्रोन और सीसीटीवी से पूरे शहर की निगरानी की जाएगी। राम मंदिर ट्रस्ट के एक सदस्य ने बताया कि शिखर पर ध्वज फहराने के बाद मंदिर का स्वरूप पूर्ण रूप से दिव्य हो जाएगा। नौ शिखरों वाले इस भव्य मंदिर में मुख्य शिखर पर भगवा ध्वज लहराता देख करोड़ों रामभक्तों की आंखें तर हो जाएंगी।
मुख्य यजमान को लेकर दो नामों ट्रस्टी डॉ. अनिल कुमार मिश्र व ट्रस्टी कृष्ण मोहन के नाम पर विमर्श चल रहा है। इसके अलावा सप्तमंडप व परकोटे में स्थित देव मंदिरों में अलग-अलग वर्ग के यजमान दंपति मौजूद रहेंगे। एक वैदिक आचार्य ने बताया कि सरयू तट पर मुख्य यजमान के प्रायश्चित पूजन से अनुष्ठान की शुरुआत होगी। यजमान ही कलश में जल भरकर यज्ञ मंडप लाएगा। उनके साथ बड़ी संख्या में महिलाएं कलश में जल लेकर मंदिर तक पहुंचेंगी। 21 नवंबर को यज्ञ मंडप की वेदी का पूजन मुख्य यजमान करेंगे। यहीं से धर्म ध्वजा की पूजा होती रहेगी। परिसर के दोनों यज्ञ मंडप सजाए जा रहे हैं।
किसी भी मंदिर के शिखर पर ध्वज स्थापित करना केवल एक रस्म नहीं, बल्कि इसका गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। ध्वजारोहण मंदिर के निर्माण कार्य की पूर्णता को दिखा रहा है। यह भक्तों की अटूट आस्था की विजय का प्रतीक है। शास्त्रों में माना जाता है कि मंदिर का शिखर ही वह है, जहां से दैवीय ऊर्जा मंदिर में प्रवेश करती हैं।
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मंदिर का ध्वज दूर से ही भक्तों को भगवान की उपस्थिति का संकेत देता है। धर्म ध्वज को मंदिर का रक्षक भी माना जाता है। मान्यता है कि यह ध्वज मंदिर और उसके आस-पास के क्षेत्र को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं से सुरक्षित रखता है। राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम 25 नवंबर 2025 यानी विवाह पंचमी के दिन आयोजित किया जाएगा।
राम मंदिर के शिखर पर फहराया जाने वाला ध्वज केसरिया रंग का होगा, जिस पर 'कोविदर वृक्ष', 'ओम' या भगवान सूर्य का प्रतीक चिन्ह अंकित होगा, जो भगवान राम के सूर्यवंशी होने का प्रतीक है। ध्वज की लंबाई 22 फीट और चौड़ाई 11 फीट होगी। भगवा रंग का यह विशेष झंडा 42 फीट लंबे खंभे पर 360 डिग्री घूमने वाली व्यवस्था के साथ फहराया जाएगा।