
डिजिटल डेस्क: उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों के हित में बड़ा फैसला कर पेराई सत्र 2025-26 के लिए राज्य परामर्शित मूल्य (SAP) में वृद्धि कर दी है। अब अगैती प्रजाति के गन्ने का मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल व सामान्य प्रजाति का मूल्य 390 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इससे पहले अगैती का भाव 370 रुपये और सामान्य प्रजाति का भाव 360 रुपये प्रति क्विंटल था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बुधवार को इस वृद्धि की घोषणा की, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी की उम्मीद जगी है।
गन्ना विकास विभाग ने राज्य परामर्शित मूल्य बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया था और सरकार ने इसे मंजूरी दे दी। पिछले कुछ वर्षों में योगी सरकार बार-बार पेराई सत्रों के दौरान या चुनावों से पहले गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी करती रही है, जिसे किसानों की मांग और चुनावी रणनीति दोनों से जोड़ा जाता रहा है। वर्तमान प्रस्ताव के साथ 20 से 30 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की संभावना जताई जा रही थी, जो अब पूरी हुई दिखाई देती है।
ऐतिहासिक भुगतान के आंकड़े भी बताते हैं कि गन्ना क्षेत्र पर पहले से ही भारी वितीय प्रतिबद्धताएं रही हैं। वर्ष 2007 से 2017 तक कुल 1,47,346 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान किया गया था, जबकि 2017 से अब तक साढ़े आठ वर्षों में 2,90,225 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इन आंकड़ों से यह साफ है कि सरकारों द्वारा गन्ना किसानों के हित में होने वाले भुगतान का भार लगातार बढ़ा है।
पिछले वर्षों की नौमुनियों को देखें तो वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले पेराई सत्र 2021-22 के लिए गन्ने का मूल्य 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया था, तब अगैती के लिए 350, सामान्य के लिए 340 और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 335 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था। पेराई सत्र 2022-23 में इन्हें यथावत रखा गया था। इसके बाद पेराई सत्र 2023-24 में लोकसभा चुनाव से पहले अगैती प्रजातियों के मूल्य में 20 रुपये की वृद्धि कर अगैती 370, सामान्य 360 और अनुपयुक्त 355 रुपये प्रति क्विंटल किया गया था। पेराई सत्र 2024-25 में एसएपी को यथावत रखा गया था।
हरियाणा सरकार ने हाल ही में गन्ना मूल्य में 15 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है, हालांकि वहां का एसएपी पहले से ही उत्तर प्रदेश से अधिक था। हरियाणा की वृद्धि के बाद उत्तर प्रदेश में भी मूल्य वृद्धि की मांग तेज हो गई थी, जिसके परिणामस्वरूप गन्ना विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया और इसे लागू किया गया।
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विश्लेषण कर रहे पर्यवेक्षकों का मानना है कि वर्ष 2027 के विधानसभा चुनावों तथा उससे पहले अगले साल होने वाले पंचायत चुनावों से पहले यह कदम सरकार द्वारा खेती और किसानों के हित दिखाने की रणनीति से भी जुड़ा हुआ माना जा रहा है। कुछ का अनुमान है कि मूल्य वृद्धि दो चरणों में भी की जा सकती है। एक पंचायत चुनाव से पहले और दूसरी विधानसभा चुनाव से पहले। गन्ना किसानों की लगातार बढ़ती मांग व प्रदेशीय राजनीतिक जरूरतों को देखते हुए यह निर्णय तत्काल राहत देने वाला सिद्ध होगा।
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