डिजिटल डेस्क। सरकारी दफ्तरों और शैक्षिक संस्थानों में अनुकंपा नियुक्तियों की आड़ में गलत तरीके से नौकरी पाने वाले कर्मचारियों की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं। शासन ने ऐसे मामलों की जांच तेज कर दी है और सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि पात्रता से बाहर जाकर नौकरी पाने वालों की पहचान कर रिपोर्ट भेजी जाए।
अनुकंपा नियुक्ति का नियम साफ है कि यदि किसी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाए, तो उसके आश्रित को नौकरी दी जा सकती है। लेकिन अगर पति-पत्नी दोनों ही सरकारी सेवा में हों और उनमें से किसी एक का निधन हो जाए, तो आश्रित बच्चों को यह सुविधा नहीं मिलती। इसके बावजूद कई जगह अधिकारियों की अनदेखी या मिलीभगत से ऐसे लोगों को भी नियुक्ति मिल गई जो पात्र नहीं थे।
सूत्रों के मुताबिक, गलत तरीके से नौकरी पाने वालों में खलबली मची हुई है। विरोधियों द्वारा शासन स्तर पर शिकायतें पहुंचने के बाद कई मामलों का खुलासा हुआ है। हालांकि, पहले मिली शिकायतों पर विभागों ने सिर्फ फाइलें तलब कर दस्तावेज मांगे, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं की। अब शासन की सख्ती के बाद मामले फिर से खंगाले जा रहे हैं।
नियम कहता है कि अनुकंपा नियुक्ति केवल मृतक के पति, पत्नी या बेटे-बेटी को दी जा सकती है। इसके बावजूद कई नगर निकायों और विभागों में मृतक के भाई या अन्य रिश्तेदारों को भी नौकरी दे दी गई। यदि यहां जांच गहराई से हुई तो बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी सामने आ सकते हैं जो पात्र ही नहीं थे।
किसी भी अनुकंपा नियुक्ति से पहले विभागीय अधिकारियों को तथ्यों की जांच करनी होती है। ऐसे में यह भी स्पष्ट है कि यदि गलत तरीके से किसी को नौकरी मिली है, तो संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय होगी और उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक ऐसे मामले पर सख्त रुख अपनाया जिसमें एक व्यक्ति ने अनुकंपा नौकरी लेते समय अपनी मां के सरकारी शिक्षिका होने की बात छिपा ली थी। अदालत के आदेश के बाद शासन और विभागीय अधिकारी हरकत में आ गए हैं। अब सभी विभागों को शासन को रिपोर्ट भेजनी होगी, जिससे यह सामने आ सकेगा कि कितने कर्मचारियों ने नियमों को ताक पर रखकर नौकरी हासिल की है।