एजेंसी, नईदिल्ली: नेपाल में मंगलवार से जारी राजनीतिक संकट अब गहराते हुए हिंसक (Nepal Crisis Update) रूप ले चुका है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) और राष्ट्रपति दोनों के इस्तीफे के बाद देश में प्रदर्शन तेज हो गए हैं। राजधानी काठमांडू और अन्य इलाकों में जनता सड़कों पर उतर (Kathmandu Protest) आई। स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए नेपाली सेना ने देर रात 10 बजे से सुरक्षा अभियानों की कमान अपने हाथ में ले ली।
त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा प्रदर्शनकारियों के निशाने पर था। शाम को भीड़ जबरन एयरपोर्ट परिसर में घुसने की कोशिश करने लगी, जिसके बाद सेना ने हस्तक्षेप करते हुए हवाई अड्डे पर कब्जा कर लिया। स्थिति बिगड़ने पर उड़ान सेवाएं आंशिक रूप से स्थगित कर दी गईं। एयर इंडिया, इंडिगो और नेपाल एयरलाइंस ने अपनी कई उड़ानें रद्द कर दीं। दिल्ली से काठमांडू जाने वाले दो भारतीय विमान बिना लैंड किए लौट आए।
प्रदर्शनकारियों ने सिंह दरबार, नेपाल सरकार का मुख्य सचिवालय, में आगजनी और तोड़फोड़ की। इस पर सेना ने तुरंत कार्रवाई कर परिसर खाली कराया और कब्जा कर लिया। हालात को देखते हुए सेना ने पवित्र पशुपतिनाथ मंदिर पर भी सुरक्षा बढ़ा दी, क्योंकि प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने मंदिर के द्वार को तोड़ने की कोशिश की थी।
जनता का गुस्सा ओली सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ है। आम लोगों का कहना है कि सरकार ने उनकी परेशानियों को अनदेखा किया, जबकि मंत्रियों और प्रभावशाली हस्तियों के बच्चे विलासिता और फिजूलखर्ची में डूबे रहे। सोशल मीडिया पर 'जेन-जी' समूह ने इस मुद्दे को लगातार उठाया। इंस्टाग्राम और अन्य प्लेटफार्मों पर वीडियो और तस्वीरों के जरिए नेताओं की जीवनशैली पर सवाल उठाए गए।
सरकार द्वारा 26 इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध ने आग में घी डालने का काम किया। जनता ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया, जबकि सरकार का कहना था कि इन प्लेटफार्मों ने नियमानुसार पंजीकरण नहीं कराया था।
1. ओली सरकार को हटाकर नई सरकार का गठन किया जाए।
2. नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मिले।
3. राजनीतिक पदों पर सेवानिवृत्ति आयु तय की जाए।
नेपाल के संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री का पद रिक्त होने पर मंत्रिपरिषद तब तक कार्य करती है जब तक नई सरकार गठित न हो जाए। राष्ट्रपति का पद खाली होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यभार संभालते हैं। मौजूदा संकट में संसद और राजनीतिक दलों पर नई सरकार बनाने का दबाव है।
काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास ने अपने नागरिकों को यात्रा स्थगित करने की सलाह दी और आपातकालीन नंबर जारी किए। भारतीयों से घरों में सुरक्षित रहने और सड़कों से दूर रहने को कहा गया।
भारत ने उम्मीद जताई है कि नेपाल के सभी पक्ष संयम बरतेंगे। अमेरिका, फ्रांस, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन और अन्य देशों ने भी संयुक्त बयान जारी कर अधिकतम संयम और मौलिक अधिकारों की रक्षा का आग्रह किया।
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नेपाल से सटे भारतीय इलाकों- बिहार के मधुबनी, सीतामढ़ी और रक्सौल में भी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। नेपाल के सिरहा, धनुषा, बीरगंज और रौतहट जिलों में सड़कों पर टायर जलाए गए। सिरहा जिला मुख्यालय में भीड़ ने पुलिस चौकी में आग लगा दी और बलिदानी हेम नारायण स्मारक को नुकसान पहुंचाया।
नेपाल का यह संकट अब केवल राजधानी तक सीमित नहीं है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों तक फैल चुका है। सेना की तैनाती और अंतरराष्ट्रीय अपीलों के बावजूद हालात सामान्य होने में समय लग सकता है। सभी निगाहें अब संसद और राजनीतिक दलों के फैसले पर टिकी हैं, जो नई सरकार के गठन का रास्ता तय करेंगे।
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