
डिजिटल डेस्क। दुबई एयर शो में शुक्रवार दोपहर बड़ा हादसा हुआ। उड़ान प्रदर्शन के दौरान भारतीय तेजस लड़ाकू विमान अचानक क्रैश हो गया। दुर्घटना के तुरंत बाद अल मकतूम इंटरनेशनल एयरपोर्ट के ऊपर काले धुएं का बड़ा गुबार उठता नजर आया, जिससे प्रदर्शन स्थल पर अफरा-तफरी मच गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हादसा स्थानीय समयानुसार दोपहर करीब 2:10 बजे हुआ। हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया है। तेजस, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित सिंगल-सीट लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है, जिसे भारतीय वायुसेना अपनी प्रमुख आधुनिक लड़ाकू परियोजनाओं में गिनती है।
Video: दुबई एयर शो को दौरान तेजस क्रैश। #Tejascrash #Tejas #Dubai pic.twitter.com/gszdjS7gLf
— NaiDunia (@Nai_Dunia) November 21, 2025
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दुबई मीडिया कार्यालय के हवाले से बताया कि दुबई एयर शो में भारतीय जेट विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से एक पायलट की मौत हो गई है। बता दें, दुबई एयर शो दुनिया के सबसे बड़े एविएशन इवेंट्स में से एक है और इस सप्ताह इसमें कई बड़े अरबों डॉलर के विमान सौदे भी हुए हैं।
यह घटना दो वर्षों में तेजस से जुड़ा दूसरा क्रैश है। इससे पहले मार्च 2024 में राजस्थान के जैसलमेर में तेजस दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। उस हादसे में पायलट सुरक्षित बाहर निकल आया था। 2001 में पहली टेस्ट फ्लाइट के बाद यह तेजस का दूसरा बड़ा क्रैश माना जा रहा है।
तेजस चौथी-प्लस पीढ़ी (4.5-जनरेशन) का मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है, जिसे एयर डिफेंस, ग्राउंड अटैक और नजदीकी लड़ाई जैसे मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका हल्का वजन, आधुनिक एवियोनिक्स और तेज maneuvering इसकी बड़ी खूबियां हैं।
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तेजस की सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा तकनीकों में शामिल है Martin-Baker zero-zero ejection seat। यह सीट पायलट को शून्य ऊंचाई और शून्य गति पर भी सुरक्षित इजेक्ट होने की सुविधा देती है जैसे टेकऑफ के तुरंत बाद, लैंडिंग के दौरान या लो-लेवल फ्लाइट में। यह सिस्टम कैनोपी को तुरंत अलग करता है, पायलट को तेजी से विस्थापित करता है और पैराशूट तैनात करता है।
दुबई एयर शो दुनिया के सबसे बड़े एविएशन कार्यक्रमों में गिना जाता है, जहां इस सप्ताह कई अरबों डॉलर के विमान सौदे भी हुए। ऐसे में तेजस क्रैश की यह घटना सुरक्षा व्यवस्था और तकनीकी कारणों पर कई सवाल खड़े कर रही है। जांच एजेंसियां अब मलबे और उड़ान रिकॉर्ड की मदद से कारणों की पड़ताल में जुटी हैं।