
डिजिटल डेस्क। हाल के वर्षों में, दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे भारत में फ्लैट खरीदने का चलन तेजी से बढ़ा है। लोग बड़े बिल्डरों से 1, 2, 3 और यहां तक कि 4-बेडरूम वाले फ्लैट खरीद रहे हैं, जिसमें लाखों का निवेश हो रहा है। ऐसे में, यह चिंता बनी रहती है कि क्या यह निवेश सही रिटर्न देगा। वहीं, बहुत से लोग आज भी किराए के घर में रह रहे हैं।
तो सवाल यह है... फ्लैट खरीदें, किराए पर रहें या फिर प्लॉट खरीदें? आइए, इस उलझन को सरल शब्दों में समझते हैं।
प्रॉपर्टी में निवेश करना आसान नहीं होता। यह फैसला आपकी जरूरतों, जीवनशैली, और टैक्स या बैंक लोन जैसे कारकों पर निर्भर करता है।
प्लॉट (जमीन) के फायदे और नुकसान: प्लॉट असल में जमीन के ऐसे टुकड़े होते हैं जो कम डेवलप हुए हैं। यह लोगों के लिए अपनी जरूरत और इच्छाओं के हिसाब से कस्टमाइज्ड (personalized) घर बनाने की जगह होती है। प्लॉट को रेजिडेंशियल, कमर्शियल और एग्रीकल्चर प्लॉट में बांटा जा सकता है। प्लॉट खरीदना अक्सर एक फायदेमंद फैसला होता है, क्योंकि जमीन एक स्थायी एसेट बनी रहती है और इसकी कीमत आम तौर पर बढ़ती है।
फ्लैट के फायदे और नुकसान: फ्लैट एक बड़े कॉम्प्लेक्स में रहने की जगह होती है। ये शहरों में ज़्यादा आम हैं और आमतौर पर रहने की क्वालिटी को बेहतर बनाने के मकसद से शेयर्ड सुविधाएं देते हैं। फ्लैट ज़्यादा सुविधा देते हैं, इसलिए यह एक पॉपुलर ऑप्शन है। हालांकि, अगर कोई करोड़ों का फ्लैट खरीदता है, तो उसे 10 से 15 साल तक EMI देनी पड़ती है, जिससे ब्याज के कारण कुल कीमत 1.35 करोड़ या 1.40 करोड़ रुपये तक बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि हर महीने बड़ी EMI चुकानी पड़ती है।
किराए के घर के फायदे: किराए के घर में रहने के कई फायदे होते हैं। जॉब ट्रांसफर होने पर शिफ्ट होना आसान हो जाता है। हाउस टैक्स देने का कोई बोझ नहीं होता, और बड़े मेंटेनेंस का काम आमतौर पर मकान मालिक ही करते हैं। किराए पर रहने से लोन लेने या EMI देने की जरूरत खत्म हो जाती है, जिससे बेहतर बजट मैनेजमेंट और बचत में मदद मिलती है।
प्लॉट खरीदना अक्सर एक फायदेमंद और सुरक्षित फैसला होता है, क्योंकि जमीन एक परमानेंट एसेट बनी रहती है। प्लॉट में सबसे बड़ी फ्लेक्सिबिलिटी यह होती है कि आप अपनी जरूरत के हिसाब से कई बार स्ट्रक्चर (घर) बना या बदल सकते हैं, जबकि जमीन का मालिकाना हक हमेशा आपके पास रहता है। जमीन की कीमत आम तौर पर बढ़ती है, खासकर जब आस-पास तेज़ी से डेवलपमेंट होता है।
करोड़ों का फ्लैट खरीदने में अक्सर लोगों को अपनी पूरी ज़िंदगी लोन चुकाने में लग जाती है। कई मामलों में, सारी सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट फ्लैट में लग जाते हैं, और जब कोई प्रोजेक्ट फेल हो जाता है या कोई दिक्कत आती है, तो यह खरीदार के लिए गंभीर फाइनेंशियल स्ट्रेस पैदा करता है। इसलिए, अपनी जरूरतों और फाइनेंशियल लक्ष्यों को ध्यान में रखकर ही कोई फैसला लें, क्योंकि एक गलत निवेश पूरे जीवन पर भारी पड़ सकता है।
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