
पल्लवी लखोटिया। तमाम माध्यमों के बीच निवेशकों का रुझान करेंसी में निवेश के प्रति भी रहता है। अब तक डॉलर में निवेश आमतौर पर आकर्षित करता रहा है। हालांकि बदलते समय और वैश्विक राजनीतिक परिस्थितियों में उथल-पुथल के बाद बदले दौर के लिहाज से अब निवेशकों को डॉलर की बजाय अन्य विदेशी मुद्राओं पर ध्यान लगाते दिखते हैं।
बीते समय के युद्धों के बाद से मुद्रा बाजार में तेज बदलाव देखा गया है। भारत ने रूस से रूबल में व्यापार शुरू करने की बात कही थी। भारतीय यूपीआई कई देश अपनाने लगे हैं। अन्य देशों की भी ऐसी ही नीति देखने को मिल रही है।
ऐसे में मेरा मानना है कि जापानी येन व अन्य मुद्राएं आगे जाकर अच्छा रिटर्न देती नजर आएंगी। तेल उत्पादक देशों की मुद्राएं भी आकर्षण है। बदलते परिदृश्य में आने वाले समय में डॉलर में गिरावट की आशंका है।
दूसरी ओर कीमती धातुओं में तेजी बनी हुई है। आगे भी जारी रहेगी। हालांकि इन कीमतों पर सोने और चांदी में निवेशकों को थोड़ा सोच समझ कर आगे बढ़ना चाहिए।

वायदा के चक्कर में नहीं उलझें। निवेश करना है तो फिर फिजिकल गोल्ड और सिल्वर को चुने। इससे आप गिरावट के समय भी लंबे समय तक बने रह सकते हैं। नुकसान की आशंका नहीं रहेगी।
इस सबके बीच अपने धन का आधा हिस्सा सुरक्षित और कम जोखिम वाले माध्यमों में निवेश जरुर करें। हमेशा सौ प्रतिशत पूंजी को ज्यादा रिटर्न के लालच में अधिक जोखिम वाले माध्यमों में न लगाएं।
मिश्रित निवेश की रणनीति हमेशा कारगर रहती है।अपना लक्ष्य, बचत, जोखिम क्षमता आदि को आंकने के बाद विशेषज्ञ की मदद से अपने लिए निवेश योजना तैयार करवाए।
(पल्लवी लखोटिया इंदौर में कर सलाहकार हैं।)
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