
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। एनटीपीसी सीपत ने फ्लाई ऐश (राखड़) के शत-प्रतिशत उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण नवाचार किया है। यह कदम पर्यावरणीय दृष्टिकोण से काफी सराहनीय है, क्योंकि इस प्रक्रिया के माध्यम से अब राखड़ का उपयोग पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं रहेगा, बल्कि इसे विभिन्न उपयोगी सामग्रियों के निर्माण में किया जा रहा है।
एनटीपीसी सीपत ने इसे गमले, टाइल्स, कुर्सी, इंटरलाकिंग और ईंट जैसी चीजों के निर्माण में शामिल किया है। इससे न केवल राखड़ का सही तरीके से उपयोग हो रहा है, बल्कि यह पर्यावरणीय संकट को भी कम करेगा। यह जानकारी एनटीपीसी के कार्यकारी निदेशक विजय कृष्ण पांडेय ने दी।
यह नवाचार राखड़ एक संसाधन के तहत किया गया है। पहले इसे सरकार को मुफ्त में दे दिया जाता था। सरकार इसका उपयोग सड़क निर्माण के लिए करती थी। एनटीपीसी सीपत स्थित फ्लाई ऐश आधारित लाइट वेट एग्रीगेट प्लांट को प्रधानमंत्री ने चार मार्च को को देश को समर्पित किया गया।
एनटीपीसी सीपत की विशेष पहल के तहत राखड़ उत्पाद से कम लागत वाले ग्रीन हाउस सुख का निर्माण किया जा रहा है, जिसकी लागत 1.5 लाख रुपये है। इसके अलावा एनटीपीसी सीपत से बिश्रामपुर, दुग्गा और मानिकपुर की बंद खदानों में भराव के लिए समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किया है।
अब तक राखड़ का अधिकांश हिस्सा बिना उपयोग के ही पर्यावरण में फैल जाता था, जिससे हवा, पानी और मिट्टी में प्रदूषण फैलता था। मगर, इस नई पहल के माध्यम से राखड़ का सही उपयोग सुनिश्चित किया गया है, जिससे इसके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
पर्यावरण संरक्षण के एनटीपीसी सीपत प्रतिबद्ध है। इसके तहत अब तक 12.5 लाख से अधिक पौधारोपण किया जा चुका है। इसमें से मियावाकी विधि से लगभग 94 हजार पौधारोपण किया गया है। वित्त वर्ष 2024-25 में एनटीपीसी सीपत के द्वारा 55 हजार से अधिक पौधारोपण किया जा चुका है।
उन्होंने यह भी कहा कि एनटीपीसी सीपत ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान अब तक 88.40 प्रतिशत पीएलएफ के साथ 21,623.48 मिलियन यूनिट विद्युत का उत्पादन किया है।
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कार्यकारी निदेशक पांडेय का कहना है कि एनटीपीसी लिमिटेड देश की अग्रणी विद्युत उत्पादक कंपनी है। इसकी नींव सात नवंबर 1975 को रखी गई। आज यह कंपनी अपनी स्थापना के 50वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। अब यह देश की प्रमुख बिजली उत्पादन कंपनियों में शामिल है।
एनटीपीसी लिमिटेड ने अपनी यात्रा के दौरान 17,794 कर्मचारियों के साथ 97 एनटीपीसी स्टेशनों के माध्यम से 77 हजार मेगावाट से अधिक स्थापित क्षमता प्राप्त की है। वर्तमान में यह कंपनी भारत के बिजली उत्पादन में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है।
यानी एनटीपीसी द्वारा तैयार की गई बिजली से देश का हर चौथा बल्ब जलता है। उन्होंने बताया कि एनटीपीसी सीपत में फ्लाई ऐश से भवन निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्रियों का निर्माण हो रहा है, जिससे पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में सुदृढ़ता आ रही है।