नईदुनिया प्रतिनिधि, जशपुरनगरः सोमवार और मंगलवार की मध्य रात शहर के नजदीकी ग्राम सिटोंगा में मतांतरितों द्वारा मनाएं जा रहे करमा त्यौहार को लेकर विवाद की स्थिति बनी। मौके पर पहुंचे हिंदू आदिवासियों ने इसका पुरजोर विरोध किया। उनका कहना था कि मतांतरितों ने आदिवासियों की रीति, परंपरा को दरकिनार कर पवित्र करमा डाल को गाड़ा है।
वहीं मतांतरित इसे नवा खाई त्यौहार का आयोजन बताते हुए आरोपों को नकारा है। विवाद की सूचना पर जशपुर पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। साथ ही जशपुर एसडीएम भी मौके पर पहुंचे। दोनों पक्षों को समझाइश दे कर मामले को शांत किया गया।
पूर्व पार्षद संतन राम ने बताया कि सिटोंगा में मतांतरितों द्वारा आदिवासियों की परंपरा और रीतियों के विरूद्व जा कर करमा डाल काटने और रात में करमा त्यौहार मनाने की जानकारी मिली थी। इस पर उन्होंने पुलिस और स्थानीय प्रशासन को सूचना दी। साथ ही अपने अन्य साथियों के साथ सिटोंगा पहुंच कर आयोजन स्थल पर गाड़े गए करमा डार को वापस करने को कहा था।
इस मामले को लेकर दोनों पक्षों में जमकर विवाद हुआ। एक ओर जहां हिंदू आदिवासी मतांतरितों द्वारा करमा त्यौहार को मनाने का विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि मतांतरित अपने धर्म के अनुसार निर्धारित त्यौहार मनाएं और परंपरा का पालन करें। उन्हें हिंदू आदिवासियों की परंपरा से छेड़छाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
वहीं मतांतरितों की ओर से जनपद पंचायत जशपुर की पूर्व अध्यक्ष कल्पना टोप्पो का कहना था कि वे लोग करमा त्यौहार नहीं अपितु नवा खांई मना रहे थे। उन्होंने आयोजन स्थल पर करमा डार होने की जानकारी से भी इंकार किया।
पूर्व डीडीसी कृपा शंकर भगत ने मिडिया को बताया कि करमा त्यौहार के आयोजन के लिए करमा पेड़ के डाल को काटने और इसे आयोजन स्थल तक लाकर स्थापित करने के लिए नियम निर्धारित है। इसका पालन किये बिना करमा डार को नहीं काटा जा सकता है। उन्होनें बताया कि मतांतरित करमा त्यौहार नहीं मना सकते और ना ही उन्हें मनाने दिया जाएगा।
भगत ने कहा कि अगर आयोजक कार्यक्रम स्थल पर गाड़े गए करमा डार को विसर्जन के लिए हिंदू आदिवासियों को नहीं सौंपते हैं उग्र आंदोलन किया जाएगा। जनपद पंचायत जशपुर के अध्यक्ष गंगाराम भगत ने बताया कि मतांतरण के साथ मंतातरित करमा पूजा करने का अधिकार खो चुके हैं। करमा पूजा करम राजा यानी भगवान महादेव व माता पार्वती की पूजा होती है। यह आदिवासियों का सबसे पवित्र और बड़ी पूजा है। इसमें किसी प्रकार के छेड़छाड़ की अनुमति नहीं दी जा सकती।
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करमा पूजा आदिवासियों का सबसे पवित्र व महत्वपूर्ण पर्व है। मतांतरित हो चुके आदिवासियों को इसे मनाने का कोई अधिकार नहीं है। जहां भी ऐसा आयोजन होगा उसका विरोध किया जाएगा।
-कृपा शंकर भगत,पूर्व डीडीसी,जशपुर
सिटोंगा में करमा का नहीं नवा खाई का आयोजन किया गया था। विवाद की स्थिति बनने पर इसे स्थगित कर दिया गया।’’
- कल्पना टोप्पो, पूर्व अध्यक्ष, जनपद पंचायत, जशपुर
सिटोंगा में दोनों पक्षों के विवाद की सूचना पर पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचा था। दोनों पक्षों को समझाईश देकर मामले का शांत कराया गया है।
-विश्वास राव मस्के, एसडीएम, जशपुर