राज्य ब्यूरो, नईदुनिया : भोपाल : 13 दिसंबर को सरकार के दो वर्ष पूरे हो रहे हैं। दो वर्ष के कामकाज की समीक्षा के साथ आगामी तीन वर्ष की कार्य योजना को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार से बैठकों का सिलसिला प्रारंभ किया। पहले दिन पंचायत एवं ग्रामीण विकास, स्कूल शिक्षा, जल संसाधन, नर्मदा घाटी विकास, नवकरणीय ऊर्जा विभाग की समीक्षा हुई।
इसमें मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अर्द्ध शहरी एवं बड़ी ग्राम पंचायतों के व्यवस्थित विकास के लिए मध्य प्रदेश ग्राम पंचायत नियमों का युक्तियुक्तकरण किया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलोनियों के रजिस्ट्रेशन एवं विकास की अनुमति एक पोर्टल से देने की व्यवस्था बनाएं।
मुख्यमंत्री सुगम संपर्कता परियोजना का क्रियान्वयन
ग्रामों में दोहरी संपर्कता सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री सुगम संपर्कता परियोजना का क्रियान्वयन किया जाए। बैठक में पहले विभागों की ओर से प्रस्तुतीकरण के माध्यम से दो वर्ष की उपलब्धियां बताई गईं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने आगामी कार्य योजना में बताया कि सांदीपनि शालाओं में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से मेकेनाइज्ड किचिन शेड का संचालन किया जाएगा।
स्वच्छता के लिए व्यवहार परिवर्तन के उद्देश्य से इंटरनेट मीडिया का उपयोग कर गतिविधियां संचालित होंगी। योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा।
ग्राम विकास की अवधारणा अनुसार योजनाओं का क्रियान्वयन हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि, सहकारिता, मत्स्य पालन तथा ग्राम विकास से संबंधित अन्य विभागों को सम्मिलित करते हुए समग्र ग्राम विकास की अवधारणा के अनुसार योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाए। नगरीय निकायों के मध्य की पंचायतें आपसी समन्वय से सड़कें तथा अन्य आवश्यक अधोसंरचनाएं विकसित करें। बैठक में विभागीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, मुख्य सचिव सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
खेती की शिक्षा के साथ कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दें स्कूल
शिक्षा विभाग की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने कहा कि भवन एक, कक्षाएं अनेक की तर्ज पर एक विद्यालय भवन में शेष खाली समय में महाविद्यालय की कक्षाएं संचालित करने की कार्रवाई करें। स्कूलों में व्यवसायिक शिक्षा के साथ कृषि की शिक्षा भी दी जाए। साइकिल बनाने की यूनिट लगाने के लिए योजना बनाएं।
नवोदय विद्यालय की तर्ज पर सांदीपनि आश्रम विद्यालय बनाए जाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि नवोदय विद्यालय की तर्ज पर सांदीपनि आश्रम विद्यालय बनाए जाएं। रुचि अनुसार कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाए ताकि रोजगार के अवसर की कमी ना रहे। अच्छा परीक्षा परिणाम देने वाले शिक्षकों को पुरस्कृत किया जाए। दूरस्थ क्षेत्रों में निजी विद्यालयों को प्रोत्साहित करने की नीति बनाई जाए। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में दो वर्षों में ड्राप आउट रेट 21.4 प्रतिशत से घटकर 16.8 प्रतिशत रह गया है।
प्रदेश के भीतर भी नदी जोड़ो परियोजनाएं होंगी संचालित
जल संसाधन विभाग और नर्मदा घाटी विकास विभाग की समीक्षा में बताया गया कि प्रदेश की सिंचाई परियोजनाओं की समीक्षा प्रधानमंत्री गतिशक्ति पोर्टल का प्रयोग कर की जाएगी। राज्य के अंदर भी विभिन्न नदियों को जोड़ने परियोजनाएं संचालित की जाएंगी।
इसके लिए उज्जैन जिले में कान्ह- गंभीर, मंदसौर, नीमच और उज्जैन में कालीसिंध-चंबल, सतना जिले में केन और मंदाकिनी, सिवनी एवं छिंदवाड़ा जिले में शक्कर पेंच और दूधी तामिया, रायसेन जिले में जामनेर नेवन और नेवन- बीना नदियों का सर्वे किया गया है। इनके क्रियान्वयन से पांच लाख 97 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा सकेगी। परियोजना लागत 9,870 करोड़ रुपये होगी।
भोपाल की झील की प्राचीन तकनीक का होगा अध्ययन
मुख्यमंत्री ने भोपाल की झील की प्राचीन तकनीक का अध्ययन कर इस तर्ज पर कम लागत में सुरक्षित जलाशय एवं बांध निर्माण की अवधारणा पर काम करने के निर्देश दिए। विभागीय मंत्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि दो साल में 7.31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में नई सिंचाई क्षमता विकसित हुई है। वर्ष 2026 तक 8.44 लाख हेक्टेयर की वृद्धि होगी।
55 जिलों के लिए रूफटॉप सौर योजना के लिए हो रहा सर्वे
प्रदेश के सभी 55 जिलों के लिए रूफटॉप सौर योजना में सर्वे किया जा रहा है। लगभग 1300 भवनों पर 48 मेगावाट क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है। प्रदेश में 76 हजार से अधिक आवासीय इकाइयां रूफटॉप योजना में हैं। इनकी क्षमता लगभग 3 लाख किलोवाट की है।
प्रधानमंत्री जनमन योजना में 11 जिलों में एक हजार से अधिक घरों में सौर संयंत्र बैटरी सहित स्थापित किए जा चुके हैं। आगर, शाजापुर और नीमच के सोलर पार्क से उत्पन्न बिजली का उपयोग भारतीय रेलवे कर रहा है। 60 मिलियन टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। मुरैना सोलर सह स्टोरेज परियोजना राज्य की पहली परियोजना होगी, जिससे सालाना 180 करोड़ रुपये की बचत होगी।