
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान होने वाली मातृ मृत्यु के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग अब अतिरिक्त सतर्कता बरतेगा। सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने निर्देश दिए हैं कि किसी भी गंभीर गर्भवती महिला को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर करने से पहले संबंधित अस्पताल को इसकी पूर्व सूचना देना जरूरी होगा, ताकि वहां उपचार की तैयारी पहले से हो सके।

गुरुवार को जयप्रकाश (जेपी) जिला चिकित्सालय में मातृ मृत्यु समीक्षा (एमडीएसआर) बैठक आयोजित की गई। बैठक में डॉ. शर्मा ने स्पष्ट किया कि बिना सूचना रेफरल भेजे जाने से इलाज शुरू होने में देरी होती है, जिससे जोखिम बढ़ता है। अस्पताल को पहले से जानकारी देने से डॉक्टरों की टीम और जरूरी सुविधाएं समय रहते तैयार की जा सकती हैं।
बैठक में सीएमएचओ ने निर्देश दिया कि हाई-रिस्क श्रेणी में आने वाली गर्भवती महिलाओं की जांच केवल नर्सिंग स्टाफ पर न छोड़ी जाए। डॉक्टर स्वयं उनकी अनिवार्य रूप से जांच करें। रेफरल की स्थिति होने पर मरीज को निजी वाहन से भेजने की अनुमति नहीं होगी; केवल 108 एंबुलेंस से ही भेजा जाएगा। साथ ही रेफरल के बाद मरीज सुरक्षित पहुंची या नहीं, इसकी फॉलोअप रिपोर्ट भी अनिवार्य होगी।
बैठक के दौरान मातृ मृत्यु के पुराने मामलों की फाइलें खोलकर गहन समीक्षा की गई। पाया गया कि गंभीर रक्तस्राव, संक्रमण, हाई ब्लड प्रेशर (एक्लैंपशिया) और सुरक्षित गर्भपात के अभाव में अधिकतर जोखिम पैदा होते हैं। अधिकारियों ने कहा कि गर्भावस्था का समय पर पंजीयन, नियमित जांचें और अनमोल पोर्टल पर अपडेट जानकारी अत्यंत आवश्यक है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि अधिकांश जटिलताएं गर्भावस्था के दौरान विकसित होती हैं। यदि समय रहते इनकी पहचान और उपचार हो जाए, तो प्रसव के दौरान होने वाली कई मौतों को रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि सुरक्षित मातृत्व के लिए जननी सुरक्षा योजना, श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता और सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) जैसे कई कार्यक्रम संचालित हैं, जिनका लाभ हर गर्भवती महिला तक पहुंचना चाहिए।
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