
नईदुनिया प्रतिनिधि भोपाल। भोपाल रेल मंडल ने यात्रियों के आराम और अनुभव को बेहतर बनाने के लिए एक अनोखा कदम उठाया है। फर्स्ट एसी कोचों को अब घर जैसा माहौल देने की दिशा में फ्लोरिंग, इंटीरियर, पौधों और सांस्कृतिक सीनरी के साथ नया स्वरूप दिया गया है। यह पूरी पहल स्थानीय स्तर पर तैयार की गई है और इसके सफल होने पर इसे सेकेंड और थर्ड कोच में लागू करने की योजना है।
भोपाल से चलने वाली भोपाल एक्सप्रेस (12155) और रेवांचल एक्सप्रेस (12185) के फर्स्ट एसी कोचों में नई फ्लोरिंग, लेमिनेटेड इंटीरियर और सौंदर्यीकरण का काम पूरा कर लिया गया है। इन कोचों में पुरानी फ्लोरिंग को बदलकर आधुनिक, टिकाऊ और साफ-सुथरी फ्लोरिंग लगाई गई है, ताकि यात्रियों को प्रवेश करते ही अलग तरह का अनुभव मिले। साथ ही इंटीरियर को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यात्रियों को यात्रा के दौरान घर जैसी गर्माहट और आराम महसूस हो।
यात्रियों को प्राकृतिक वातावरण और ताजगी का एहसास दिलाने के लिए कोचिंग डिपो में लगे पौधों को बुके के रूप में तैयार कर इन कोचों में लगाया जा रहा है। एक कोच में लगभग 6 से 8 छोटे फ्लावर पाट लगाए जाते हैं, जिससे कोच का लुक और माहौल दोनों बेहतर बन सकें। यह पहली बार है जब किसी कोच में जीवित पौधों का नियमित रूप से उपयोग किया जा रहा है। इससे यात्रियों के मूड पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
सांस्कृतिक पहचान को भी इस पहल में शामिल किया गया है। कोचों की दीवारों पर मधुबनी, गोंड कला और भारत की पारंपरिक संस्कृति से जुड़े चित्र लगाए गए हैं। इन रंगीन और कलात्मक सीनरी ने कोचों को और भी आकर्षक बना दिया है। इस कला को जोड़ने का उद्देश्य यात्रियों को भारतीय संस्कृति से जोड़ना और सामान्य यात्रा को एक यादगार अनुभव में बदलना है। मंडल का मानना है कि यदि यह पहल यात्रियों को पसंद आती है, तो भविष्य में कोचों का सौंदर्यीकरण रेलवे की नई पहचान बनेगा।
यात्रियों के सफर को अधिक सुखद और सुकूनभरा बनाने के लिए भोपाल रेल मंडल ने अपनी ओर से नई पहल शुरू की है। यह योजना रेलवे मुख्यालय द्वारा नहीं बल्कि मंडल स्तर पर तैयार की गई है। यह प्रयोगात्मक योजना फिलहाल फर्स्ट एसी कोच में लागू की गई है और यदि यह सफल होती है, तो इसे सेकेंड और थर्ड एसी कोचों में विस्तारित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य यात्रियों को आरामदायक, स्वच्छ और घरेलू वातावरण उपलब्ध कराना है। - विकास शुक्ला, एसएससी (जी)
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