राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। पदोन्नति नियम लागू न होने से सरकार ने अधिकारियों-कर्मचारियों को संतुष्ट करने के लिए उच्च पद का प्रभार दिया था। चूंकि, अब पदोन्नति नियम बन चुके हैं और जल्द ही पदोन्नति की प्रक्रिया प्रारंभ होने की संभावना है, इसलिए उच्च पद का प्रभार वापस लेने की तैयारी है। पुलिस मुख्यालय द्वारा उच्च पद का प्रभार न देने के आदेश जारी होने के बाद वन विभाग ने प्रभार देने के आदेश निरस्त कर दिए हैं। साथ ही आगे प्रभार देने पर रोक भी लगा दी है।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नए पदोन्नति नियम-2025 के तहत जिन्हें पदोन्नति मिल जाएगी, वे तो यथावत रहेंगे लेकिन जो इसके दायरे में नहीं आएंगे उन सभी का उच्च पद का प्रभार समाप्त कर दिया जाएगा। विभाग के 7,767 पदों में से 5,094 पद रिक्त हैं। इसमें से ढाई हजार से अधिक अधिकारी-कर्मचारी को उच्च पद का प्रभार दिया गया है लेकिन ये सभी पदोन्नत नहीं हो पाएंगे। ऐसे में शेष अधिकारियों से प्रभार वापस ले लिया जाएगा। बता दें, सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) और पुलिस मुख्यालय उच्च पद का प्रभार देने पर पहले ही रोक लगा चुके हैं।
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मध्य प्रदेश में वर्ष 2016 से पदोन्नति पर रोक लगी हुई है। न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने के कारण सरकार इस दिशा में आगे कोई निर्णय भी नहीं ले पा रही है। इस बीच सरकार ने नए पदोन्नति नियम-2025 जारी कर दिए, लेकिन सामान्य वर्ग के कर्मचारियों ने इस नियम को भी कोर्ट में चुनौती दे दी, जिसके कारण मामला अभी अटका हुआ है।
एमपी वन प्रशासन-2 अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक कमलिका मोहंता ने कहा कि शासन ने उच्च पद का प्रभार देने पर रोक लगाई है। जो पदोन्नति नियम के दायरे में नहीं आएंगे उनका उच्च पद का प्रभार समाप्त कर दिया जाएगा।