Bhojshala ASI Survey: नईदुनिया प्रतिनिधि, धार। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के आदेश के बाद धार की ऐतिहासिक भोजशाला में 22 मार्च की सुबह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम सर्वे शुरू कर देगी। बुधवार को भारतीय पुरातत्व, जिला प्रशासन और पुलिस ने तैयारियों को अंतिम रूप दिया। सर्वे के दौरान सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के लिए परिसर के आसपास भारी पुलिसबल तैनात रहेगा। इधर 22 मार्च को शुक्रवार होने से नमाज भी यथावत होगी।
पिछले दिनों मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित परमारकालीन भोजशाला को सरस्वती मंदिर बताते हुए हिंदू फ्रंट फार जस्टिस ने हिंदू समाज को पूजा का अधिकार देने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। टीम को सर्वे करके 6 सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करना है।
हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की तरफ से एडवोकेट हरिशंकर जैन और एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने कोर्ट को कहा कि पूर्व में भी जो सर्वेक्षण हुए हैं वे साफ-साफ बता रहे हैं कि भोजशाला वाग्देवी का मंदिर है। इससे अतिरिक्त कुछ नहीं। हिंदुओं का यहां पूजा करने का पूरा अधिकार है। हिंदुओं को पूजा का अधिकार देने से भोजशाला के धार्मिक चरित्र पर कोई बदलाव नहीं होगा।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से एडवोकेट हिमांशु जोशी ने कोर्ट को बताया था कि वर्ष 1902-03 में पुरातत्व विभाग भोजशाला का सर्वे कर चुका है। इसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में प्रस्तुत है। रिपोर्ट के साथ फोटोग्राफ भी संलग्न हैं। इनमें भगवान विष्णु और कमल चिन्ह परिसर में स्पष्ट नजर आ रहे हैं। नए सर्वे की कोई आवश्यकता ही नहीं है। सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही 2003 में आदेश जारी हुआ था।
भोजशाला विवाद सदियों पुराना है। हिंदुओं का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी। भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं। अंग्रेज अधिकारी भोजशाला में लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) भोजशाला स्थित हर चल-अचल वस्तु, दीवारे, पिलीर, फर्श की जांच करेगा। 11 मार्च 2024 को दिए आदेश में हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर एएसआइ को लगता है कि वास्तविकता तक पहुंचने के लिए उसे कुछ अन्य जांच करना है तो वह परिसर में मौजूद वस्तुओं को नुकसान पहुंचाए इन्हें कर सकता है। जांच में एएसआइ अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करेगा। परिसर स्थित हर वस्तु की कार्बन डेटिंग पद्धति से जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि वह वस्तु कितनी पुरानी है।
हाईकोर्ट ने एएसआइ की टीम को भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वे को जीपीआर- जीपीएस तरीके से करने के लिए कहा है। जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार) तकनीक जमीन के भीतर विभिन्न स्तरों की हकीकत जांचने की अत्याधुनिक तकनीक है। इसमें रडार का इस्तेमाल होता है। यह जमीन में छुपी वस्तुओं के विभिन्न स्तर, रेखाओं और संरचनाओं का माप लेता है। इसी तरह जीपीएस(ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम)भी होता है। इन दोनों तकनीके अलावा सर्वे में कार्बन डेटिंग तकनीक का इस्तेमाल भी होगा। कार्बन डेटिंग किसी भी वस्तु, इमारत आदि की उम्र पता लगाने में उपयोग होती है।
कोर्ट ने सर्वे का आदेश 11 मार्च को दिया था। एएसआइ को छह सप्ताह में सर्वे पूरा कर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपना है। कोर्ट के आदेश के 11 दिन बाद सर्वे शुरू हो रहा है। ऐसे में एएसआइ को सर्वे पूरा करने के लिए छह सप्ताह के बजाय सिर्फ साढ़े चार सप्ताह मिलेंगे। उसे 29 अप्रैल को कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करना है।
धार भोजशाला परिसर में एएसआइ का सर्वे 120 वर्ष बाद होने जा रहा है। इसके पहले वर्ष 1902 में भी एएसआइ ने यहां का सर्वे किया था। इस सर्वे की रिपोर्ट के साथ हाई कोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में फोटोग्राफ भी संलग्न किए गए हैं। इनमें भगवान विष्णु, कमल स्पष्ट नजर आ रहे हैं। यानी वर्ष 1902 में हुए सर्वे में भोजशाला में मंदिर होने के संकेत मिले थे।
#WATCH मध्य प्रदेश: धार एसपी मनोज कुमार सिंह ने धार भोजशाला मामले में ASI सर्वे पर बताया, "हाईकोर्ट के आदेश के पालन में ASI का पत्र हमें प्राप्त हुआ है। सर्वे के दौरान कैसी सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करानी है, इस पर हमारी चर्चा होगी। पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया जाएगा।… pic.twitter.com/FQj2BoW6qx
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 21, 2024
धार एसपी मनोज कुमार सिंह ने धार भोजशाला मामले में एएसआइ सर्वे पर बताया, हाईकोर्ट के आदेश के पालन में एएसआइ का पत्र हमें प्राप्त हुआ है। सर्वे के दौरान कैसी सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करानी है, इस पर हमारी चर्चा होगी। पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया जाएगा। मुझे उम्मीद है कि जनता का हमें सहयोग मिलेगा।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से संबंधित पांच विशेषज्ञ धार पहुंच चुके हैं। सर्वे की शुरुआत के बाद यह स्थिति स्पष्ट होगी कि यह कितने दिन चलेगा व कौन-कौन सी तकनीक या विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। सर्वे का पहला दिन इस लिहाज से खास होगा। - डा. आलोक त्रिपाठी, एडिशनल डायरेक्टर जनरल, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय।