नवदुनिया प्रतिनिधि, नर्मदापुरम। वन्य जीवों के लिए चर्चित नर्मदापुरम जिले के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से सटे वन ग्रामों में वन्य जीवों द्वारा इंसानों पर हमले करने की घटनाएं बढ़ रही हैं। दो दिन पहले वन विभाग के एक कर्मचारी पर बाघ का जानलेवा हमला होने का मामला सुर्खियों में था, इस बीच रविवार देर रात एसटीआर से लगे सिंगानामा कतियाढाना रोड स्थित ठोंगापुरा गांव में घर के बाहर खेल रहे एक सात वर्षीय बच्चे पर एक तेंदुए ने प्राणघातक हमला कर दिया। तेंदुए के हमले में जख्मी बच्चे ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। घटना के बाद अब हिंसक हो रहे तेंदुए का रेस्क्यू करने में वन विभाग जुटा हुआ है। आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को सतर्क रहने को कहा गया है, कहीं भी तेंदुए का मूवमेंट दिखने पर वन अमले को सूचना देने की मुनादी कराई गई है।
वन विभाग के अनुसार सात वर्षीय प्रहलाद इरपाचे घर के बाहर खेल रहा था। तभी जंगल से आया एक तेंदुआ उस पर झपटा, अचानक हुए हमले में घबराया बच्चा कुछ समझ ही नहीं पाया। उसकी चीख पुकार सुनकर घर में मौजूद मां शीला बाई, पिता भगतराम और अन्य स्वजन भागते हुए बाहर आए, तत्काल स्वजन तेंदुए से भिड़ गए, इसके बाद जख्मी हालत में बच्चे को छोड़कर तेंदुआ भाग गया। तेंदुए ने बच्चे के चेहरे एवं अन्य जगह दांतों से गहरे घाव कर दिए थे। गंभीर हालत में स्वजन बच्चे को लेकर नजदीकी मटकुली गांव पहुंचे। यहां से डिप्टी रेंजर पंकज यादव की टीम ने प्रहलाद को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया। डा. देवेंद्र ठाकुर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
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सोमवार को पिपरिया अस्पताल में मृत बच्चे का पोस्टमार्टम किया गया। ग्रामीणों ने बताया है कि इस क्षेत्र में पहले भी तेंदुआ देखा गया है, लेकिन वह गांव तक आ जाएगा, यह नहीं सोचा था। एसडीओ संजीव शर्मा के अनुसार तेंदुए के हमले में मृत बच्चे के परिवार को 8 लाख रुपये की मुआवजा राशि दी जाएगी। घटनास्थल वाला इलाका जंगल से सटा हुआ है, इसलिए यहां वन्य जीवों का मूवमेंट पहले भी रहा है। विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया गया है।
अपने परिवार के मासूम बच्चे को हमले में खोने वाला पूरा परिवार बदहवास है। मां ने रोते हुए बताया कि बच्चा थोड़ी देर पहले ही घर से बाहर खेलने निकला था, गांव में इसी तरह बच्चे बाहर खेलते रहते हैं, लेकिन किसी को अंदेशा नहीं था कि तेंदुआ आकर उस पर हमला कर देगा। अपने कलेजे के टुकड़े को बचाने के लिए पूरा परिवार तेंदुए से भिड़ गया, शोर शराबा सुनकर तेंदुआ जख्मी हालत में बच्चे को छोड़कर भाग गया, यदि जरा सी देरी होती तो तेंदुआ उसे घसीटकर शिकार मानकर जंगल में ले जा सकता था। चिकित्सकों के अनुसार बच्चे को गहरे घाव थे, इस वजह से उसे बचाया नहीं जा सका। आसपास वन्य क्षेत्र होने से इलाज मिलने में भी देरी हो गई।