नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। दीपावली पर्व का शुभारंभ शनिवार से धनतेरस के साथ होगा। इस बार छह दिनों में पांच प्रमुख पर्व धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजन और भाई दूज मनाए जाएंगे। पहले दिन धनतेरस पर बाजार सोना-चांदी, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और बर्तनों की खरीदी से गुलजार रहेंगे। इस अवसर पर भगवान धनवंतरी, धनलक्ष्मी और कुबेर का पूजन किया जाएगा।
धनतेरस: अमृत कलश के साथ प्रकट हुए धनवंतरी
धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे से शुरू होकर 19 अक्टूबर को दोपहर 1:51 बजे तक रहेगी। इसी दिन भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन आरोग्यता के लिए उनका पूजन किया जाता है। प्रदोषकाल (शाम 5:53 से 7:59 बजे) में धनलक्ष्मी और कुबेर का पूजन श्रेष्ठ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन नए बर्तन खरीदने का विशेष महत्व है।
धनतेरस पर खरीदारी के मुहूर्त
रूप चतुर्दशी: सौंदर्य और अभ्यंग स्नान का पर्व
धनतेरस के अगले दिन रूप चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस तिथि की शुरुआत 19 अक्टूबर को दोपहर 1:51 बजे होगी और 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी। इस दिन सूर्योदय (20 अक्टूबर सुबह 5:13 से 6:25 बजे) पर अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है। इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। प्रदोषकाल में दीपदान और काली पूजन किया जाएगा।
दीपावली: लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ समय
20 अक्टूबर को कार्तिक अमावस्या पर मुख्य दीपावली पर्व मनाया जाएगा। इस दिन देवी महालक्ष्मी का पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। इस अवसर पर राम, सीता और लक्ष्मण के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की स्मृति भी जुड़ी है। इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त शाम 7:08 से रात 8:18 बजे तक रहेगा।
गोवर्धन पूजन: गोबर से बनेगा गोवर्धन पर्वत
दीपावली के अगले दिन 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजन होगा। इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजन किया जाएगा और अन्नकूट महोत्सव आयोजित होगा। प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर को शाम 5:54 से 22 अक्टूबर रात 8:46 बजे तक रहेगी। मंदिरों में भगवान को छप्पन भोग अर्पित किए जाएंगे।
भाई दूज: भाई-बहन के स्नेह का पर्व
23 अक्टूबर को भाई दूज मनाया जाएगा। द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर रात 8:17 से शुरू होकर 23 अक्टूबर रात 10:46 बजे तक रहेगी। इस दिन विशाखा और अनुराधा नक्षत्र के साथ आयुष्मान और सौभाग्य योग का संयोग रहेगा। परंपरा के अनुसार, इस दिन बहनें अपने भाइयों को भोजन कराती हैं और चित्रगुप्त व यमराज की पूजा भी की जाती है।